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2/13/10
ब्लॉगर बाबाओं की जय हो
इस समय मौसम सेंटियाना हो चला है यानी बाबाओं का बोलबाला है. कल शिवरात्रि पर भोले बाबा की धूम थी, हरिद्वार महाकुंभ में शाही स्नान के समय हरि की पैड़ी बाबामय हो गई थी. ज्यादातर न्यूज चैनल्स में बाबा विराजमान थे. अब तो ढाबाओं की तरह हर तरफ बाबा ही बाबा दिख रहे हैं. अब संडेे को वैलेंटाइन बाबा का बोलबाला. तो इस बार ब्लॉग्स में बाबाओं के बारें में बात करते हैं. वैसे ब्लॉगर भी किसी बाबा से कम नही होते. जो जी में आया कहा और किसी ने कुछ पलट कर कुछ सुनाया तो सुन लिया. प्रशंसा और आलोचना को समभाव से लेते हैं. अपने कहे को ज्ञानीवाणी और दूसरों की बात को नादानी कहना इनका शगल है. पॉपुलैरिटी के लिहाज से इंडिया के टॉप बाबाओं की तरह ब्लॉगर भी अपनी ऑरा से मुग्ध रहता है. इनमें में ज्यादातर समय के साथ चलने वाले मार्डन किस्म के बाबा हैं. जो टेक्नालॉजी सैवी हैं, शास्त्रीय बातों को नए तरीके से प्रेजेंट करना जानते हैं, उनका पीआर वर्क शानदार है. यही वजह है कि इसमें से तो कई सेलेब्रिटी स्टेटस को प्राप्त कर चुके हैं. पॉपुलैरिटी के मद में अक्सर बाबा लोग पॉलिटिकल लीडर की तरह बतियाने लगते हैं. ऐसे किसी टीवी चैनल पर या प्रवचन के दौरान कहीं भी हो सकता है. अब किस योग गुरू ने हाल में क्या कहा ये सब तो आप देखते और पढ़ते रहते हैं. आइए ब्लॉगर बाबाओं पर नजर डालें.
भोले बाबा की नगरी काशी के ब्लॉगर बाबा अरविंद मिश्र ने http://mishraarvind.blogspot.com पर शिवरात्रि के बहाने से अपने भक्तों (रीडर्स) को बता दिया कि उन्हें शिव तांडव स्तोत्र कंठस्थ है और उन्होंने प्रसाद स्वरूप भक्तों के लिए अपने ब्लॉग में अपनी लेजर डिस्प्ले युक्त? ऑडियो क्लिपिंग लगा दी है. वैसे उनके ब्लॉग क्वचिदन्यतोअपि.. अपने आप में एक बड़ा टंगट्विस्टर है. इसका उच्चारण करते समय बड़े बड़े लर्नेड लटपटा जाते हैं.
एक और सम्मानित ब्लॉगर हैं सुरेश चिपलूनकर. उन्होंने तो महाशिवरात्रि पर अपने ब्लाग http://blog.sureshchiplunkar.com में भक्तों के लिए एक दानपात्र ही लगा दिया है. उनके इरादे नेक हैं और प्रयास सराहनीय. उनके इस प्रयास ने मेरे ज्ञान चक्षु खोल दिए हैं कि चिपलूनकर भाई की तरह कभी मैं भी अपने ब्लॉग पर धर्मार्थ कार्य का कोई 'चिपÓ लगा सकता हूं.
अब थोड़ी बात बाबा वैलेंटाइन की भी. कैसी विडंबना है कि वैलेंटाइंस डे आते ही लोग दो खेमो में बंट जाते हैं. एक प्रो और एक एंटी. बाबा वेलेंटाइन किसी भी देश के रहे हों, उनका निस्वार्थ और निश्छल प्रेम संदेश तो पूरी दुनिया के लिए था इसमें धर्म और संस्कृति कहां से आ गए. वेलेंटाइंस डे पर थॉट प्रवोकिंग पोस्ट लिखी है वीरेंद्र कुमार जैन ने http://rachanakar.blogspot.com/ पर. और भी ढेर सारे ब्लॉगर बाबाओं ने भोले बाबा का प्रसाद परोसा है अपनी पोस्ट के बहाने. सो ग्रहण करने के लिए लाइन से आएं.
-राजीव ओझा ने जैसा आइ नेक्स्ट में ब्लॉग-श्लॉग कॉलम में लिखा
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ओझा तो आप हैं और बाबा ओरों को बता रहें हैं. वाह भाई वाह.
ReplyDeleteयथार्थ लेखन।
ReplyDeleteहम भी मुग्ध हैं।
ReplyDeleteये आपने खूब कहा, ओझा जी.
ReplyDeleteराजू भाई,
ReplyDeleteक्यों बाबाओं से सुनना चाहते हैं- मार देब चोटा सारे...
जय हिंद...
इस देश मे सिक्का सिर्फ दो लोगों का ही चलता है एक तो नेताओं का और दूसरे बाबाओं का.....
ReplyDeleteसही कहा...बाबा और नेता....का ही बोल बाला है ...
ReplyDeleteबिलकुल पकड़ लिया गुरु .बोले तो बिंदास -आप तो गुरुओं के भी गुरु निकले !
ReplyDeleteजय हो बाबा की जय हो , बोले तो बिंदास ...है जी एकदमे,...अब जोगी जी का समय भी आईये गया है ....अरे जोगी रा सारारारा ....
ReplyDeleteअजय कुमार झा
जय हो बाबा की
ReplyDeleteबाबाओं की जय हो
ReplyDeletefrustration nikalne ke liye bujurg log baba ka roop dharte hai .yahi blog jagat ke bujurgo ka hal hai.
ReplyDeleteजय हो...:)
ReplyDeleteअसली बाबा तो आप हो ओझा जी।मस्त बम बम भोले।
ReplyDeleteओझा बाबा की जय :)
ReplyDeleteवाह, एक ठो नये बाबा का आविष्कार किया जाये - क्वचिदन्यत बाबा! इनका शिष्यत्व उसे मिले जिसे जट्टाटवी गलज्ज्वल सारा रटा हो! :-)
ReplyDelete(मिश्र जी से अपॉलॉजी सहित)
baba ji ki jai ho
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