गधे को लेकर बीच बाजार में लट्ठम- लट्ठा।
किसने सोचा था कि भारत में इतने बड़े पैमाने पर गदहा युद्ध छिड़ जाएगा। गुजरात में कच्छ के गधे दुर्लभ हैं उनको जाने दें , आपके शहर में भी ओरिजनल गधे अब आसानी से कहां दिखते हैं। वैसे नकली गदहों की भरमार है।
पहले तो गधे और गदहे (मूर्ख) में अंतर समझ लीजिए । गधा जैसा मेहनती, बुद्धिमान, नेक, डेडिकेटेड और क्यूट जानवर दूसरा है क्या। जो वास्तव में मूर्ख हैं लेकिन अपने को सयाना समझते वो सबसे बड़े गदहे (मूर्ख) हैं। किसी का सीधा-मासूम होना मूर्खता का प्रतीक कब से हो गया। गधे तो सिर्फ चींपों-चींपों करते, लेकिन कभी इंसानों के बारे में चीप बातें नहीं करते। गधों के बारे में बार-बार चीप बातें कर मजाक उड़ाने वालों के लो आईक्यू पर तरस आता है। गधे का आईक्यू , भैंस से कहीं बेहतर होता। भैंस के आगे बीन बजाते रहिए वो मूढ़ों की तरह पगुराती रहेगी। लेकिन गधे के आगे सारंगी बजा के देखिये वो तुरंत चींपो चींपो कर रिसपांस देगा। ज्यादा परेशान करेंगे तो मारेगा दुलत्ती। बताइए भैंस मूर्ख या गधा। गधे की ताकत न समझने वाले ही गदहे (मूर्ख)हैं।
सोचिए घोड़़ा मेहनत करे तो उसे हार्सपावर बोलते और गधा धोबी के घर से घाट तक दिनभर लादी ढोता फिरे तो बोला जाता - धोबी का गधा न घर का न घाट का। गधे को लेकर कितनी निगेटिवटी भर दी गई हैं हमारे मन में । किसी की किस्मत साथ नहीं देती तो वो कहता फिरता .. हमारी किस्मत तो गधे के ..फलां से लिखी गई है। अब आपकी किस्मत खराब है तो इसमें गधा बेचारा क्या करे। किसी को अपमानित करना हो तो उसे गधे पर बैठाकर घुमाया जाता। इससे गधे की इमेज पर असर नहीं पड़ता लेकिन उसकी पीठ पर बैठकर जिसको घुमाया जाता वो मुंह दिखाने लायक नहीं रहता। अब गर्दभ शक्ति को पहचानने का समय आ गया । लेकिन गधे की ताकत न समझने वाले नादान हैं। गधे की पीठ हो या पिछाड़ी उसके अंगों में जितनी पावर है उतनी घोड़ों में कहां। तभी हमेशा गधे की दुलत्ती से बचने को कहा जाता, घोड़े की नहीं।
बचपन में पढ़ा था ए फॉर ऐस, ऐस माने गधा, डी फॉर डंकी, डंकी माने भी गधा। लेकिन बाद में पता चला कि अंगे्रजी में ऐस का एकऔर मतलब पिछाड़ी भी होता है। सावधान किया जाता है कि अफसर की अगाड़ी और गधे की पिछाड़ी से दूर रहना चाहिए। ये कहावत भी गधे की दुलत्ती की पावर के कारण बनी है। समय के साथ गधे की पिछाड़ी, शक्ति का प्रतीक बन कर उभरी हैं । गधे को सम्मान देने के लिए ही पिछाड़ी को अंग्रेजी ऐस भी बोला जाता। और बात - बात पर चुनौती दी जाती है कि अगर तुम्हारी पिछाड़ी में दम है तो फलां चीज कर के दिखाओ। यानी मूंछों का ताव और पिछाड़ी का भाव समान है।
तुम्हारे पिछवाड़े लात पड़ेगी, यह सुनते ही लोग बुरा मान जाते हैं। यह अंग्रेजी में भी उतना ही असरकारी है जैसे - आई विल किक योर ऐस.. वो तुरंत पलट कर जवाब देगा - किस माई ऐस। किसी को ऐसहोल बोल कर देखिए वो आपको गाली देने लगेगा। ये है ऐस पावर। गधा शालीन है, गधा धैर्यवान है बस कभी कभार चींपों-चींपों कर कहता - माइंड योर बिजनेस यू ऐसहोल..!