Featured Post
2/6/10
इब्ने बतूता राहुल का जूता..उठाओ तो बोले चुर्र...
इब्ने बतूता राहुल का जूता..ता..उठाओ तो बोले चुर्र... आज कल हर जगह जूतों की जयकार है. भला हो इब्ने बतूता, सर्वेेश्वर दयाल सक्सेना और गुलजार का कि जूता राग लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है. शुक्रवार को राहुल मुंबई में थे. कभी यहां कभी वहां. अम्बेडकर प्रतिमा पर फूल चढ़ाने भी पहुंचे. जूता (या चप्पल) रास्ते में उतारी. एक मंत्री जी ने हाथ से उठा कर किनारे कर दिया. उठाने में जूता बोला चुर्र, शिवसेना ने किया गुर्र्र. बोली, देखा कांग्रेस में हैं चापलूसों की जमात, राहुल की क्या करें बात. सुना है राहुल ने लाइन लगा कर लिया रेल टिकट . फिर एटीएम से पैसे निकाले फटाफट. मान लीजिए राहुल को एटीएम से पैसा निकालते देख कोई कांग्रेसी उन्हें दे देता उधार तो मचता एक नया बवाल. शिवसेना कहती ये रोड शो है फेक, कांग्रेसी कहते पार्टी खुश है मराठियों का राहुल प्रेम देख. इब्ने बतूता किसका जूता..उठाने पर बोले चुर्र..असली मुद्दा हो गया फुर्र..
लेबल:
डायरी के पन्ने
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कहने का मतलब है कि तिल का ताड और राई का पहाड यू ही बनता है
ReplyDeleteBahut sundar !
ReplyDeleteसही कहा। मुद्दे की बात करता ही कौन है।
ReplyDelete--------
ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे...
धरती पर ऐलियन का आक्रमण हो गया है।
बेचारा इब्न बतुता. कब्र में करवट बदलता होगा. सब सुन सुन कर.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बहुत सुन्दर है!
ReplyDeleteयह चर्चा मंच में भी चर्चित है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/02/blog-post_5547.html
ये ही भारतीय राजनीती का असली चेहरा
ReplyDeleteहै वो नकली मुद्दा सामने आये असली मुद्दा छुपा रहे
असली मुद्दा हो गया फुर्र.
ReplyDelete--------------
नो नो। असली मुद्दा "जनता का मनई" होने नहीं, दिखने का है। वह बहुत सफलता से दिखा।
कित्ता ब्रेव है बालक!
असली मुद्दा यूँ ही जूतों और चेहरों के नीचे छिप-छिप जाता है ।
ReplyDeleteजबर्दस्त पोस्ट । रोचक । आभार ।
असली मुद्दा तो फुस्स होना ही था ....कितने लोग साथ आते हैं सार्थक मुद्दों पर ....!!
ReplyDelete:)
ReplyDeleteअब चुर्र वगैरह बोलने तक ही सीमित रह गया है जूता उठाना। इसका कारण है कि पहले भी इंदिरा और राजीव गांधी का जूता उठाकर कांग्रेसी भाई फायदा उठा चुके हैं औऱ यह फार्मूला पुराना पड़ गया है। पुराने फार्मूले से सफलता नहीं मिलती। आपने सही लिखा है कि जूता बोला चुर्र।
ReplyDelete