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9/24/09

कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है...




किसी से कहूं के नहीं कहूं ये जो दिल की बात है, कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है पर छुपके इस दिल में तनहाई पलती है....यही है आज का सच जिसका सामना अर्बन सोसायटी का एक बड़ा तबका कर रहा. टीवी पर एक सीरियल आता था 'सच का सामना'. अंतिम कड़ी में रूपा गांगुली ने अपना सच सामने रखा. इसके बाद खबर आई कि इस अंतिम कड़ी को देख कर आगरा में एक महिला ने सुसाइड कर लिया. सीरियल तो खत्म हो गया लेकिन जोरदार बहस शुरू हो गई. यहां हम सीरियल की समीक्षा नहीं कर रहे बल्कि इससे उठे ढेर सारे सवालों में से एक का जवाब खोजने की कोशिश कर रहे हैं. एक सवाल उठा कि हम अपनों से क्या और कितना शेयर करें. कहा जाता है कि साइलेंस इज गोल्ड, लेकिन क भी कभी चुप्पी दमघोंटू हो जाती है. कुछ बातें हम अपने काउंटर पार्ट से, कुछ दोस्तों से, कुछ पैरेंट्स से कुछ भाई-बहनों से और कुछ अपने बच्चों से शेयर करते हैं. लेकिन कुछ बातें हम किसी से शेयर नहीं करते. इसकी जरूरत भी नहीं है. फैंटसी के जंगल में भटकना ह्यूमन नेचर है. दिल की हर बात सामने आने लगी तो अराजकता फैल जाएगी. हम छोटी-छोटी खुशियां और परेशानियां भी शेयर नहीं करते, जिससे हमारा मन हल्का हो सकता है. कहां घूमने जा रहे हो? मत बताओ, कुछ नया खरीदा? मत बताओ, कितने नंबर आए? मत बताओ. आज के शहरी समाज का ताना-बना कुछ ऐसा बनता जा रहा है कि हमारे इर्दगिर्द तनहाई की दीवारें ऊंची होती जा रही है. पहले लोग डायरी लिख कर मन हल्का कर लेते थे लेकिन अब वो भी कम होता जा रहा है. ब्लॉग मन की बात कहने का अच्छा विकल्प हैं लेकिन सार्वजनिक होने की वजह से उसमें भी हिचक होती है लेकिन बातें शेयर करना उतना ही जरूरी है जितना शरीर के लिए ऑक्सीजन. किससे क्या और कितना शेयर करना है इसका फैसला तो आपको ही करना है.

12 comments:

  1. अमाँ हम नहीं शेयर करते ! क्या ज़रूरत? वैसे खोदू स्वभाव के लोग तो बहुत कुछ उगलवा ही लेते हैं, अपनी भले न बताएँ। आपो तो वो ही श्रेणी के हो...;)
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    रूपा गांगुली ने ऐसा क्या बता दिया ? ...बता देते तो सहूलियत होती। मैं ये सब सीरियल नहीं देखता लेकिन रहस्योद्घाट्न एक एकदम अनजान व्यक्ति की जान ले ले ! ये तो हद है। लेना न देना फिर भी लबेना !
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    @ हमारे इर्दगिर्द तनहाई की दीवारें ऊंची होती जा रही है.
    "सीने में जलन आँखों में तूफान सा क्यूँ है...." बहुत बड़ा प्रश्न है। मेट्रो शहरों तक सीमित ये बीमारी अब गाँवों में भी फैल गई है।..

    "हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी
    फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी।"

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  2. कही गहरे अवचेतन में या प्रत्यक्ष भी ...बहुत कुछ ऐसा होता है ...जो साझा नहीं किया जा सकता..बिंदास होना अच्छा है ...बेबाक बोलना भी ...मगर आपकी बेबाकी से अगर दूसरो के रहस्य उजागर होते हों और जिन्हें वो दुसरे जाहिर नहीं करना चाहते ...तो ये बेबाकी जानलेवा ही साबित होगी ..
    रूपा गांगुली के सच पर आधारित धारावाहिक को देखा नहीं है ...अगर इसकी विस्तृत जानकारी देते तो अच्छा होता ..

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  3. देखा इस एपिसोड को!

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  4. @गिरिजेश, वाणी : सच का सामना की अंतिम कड़ी में रूपा गांगुली ने ये सच बताए थे
    1. शादी के बाद भी उनके दूसरे पुरुष से संबंध थे
    2. रूपा अपने पति से अलग हो चुकी है और उसका बेटा पूर्व पति के साथ रहता है
    3.रूपा को डर है कि उसका पूर्व पति बेटे को छीन लेगा
    4.रूपा अभी भी अपने पूर्व पति से प्यार करती है. पॉलिग्राफ ने भी उसे सच माना यानी इतना सब होने के बावजूद रूपा का लगाव अपने पति से है
    5. उसका ब्वायफ्रेंड उससे उम्र में काफी छोटा है. वह उससे प्यार करती है? और पॉलिग्राफ ने उसे झूठ बता दिया
    आगरा की 32 वर्ष की पल्लवी की कहानी भी इससे मिलती जुलती थी. रूपा ने तो करोड़ों लोगों के सामने अपने मन की बात कह कर जी हल्का कर लिया लेकिन पल्लवी की घुटन और डिप्रेशन बढ़ गया और उसकी जान चली गई. यहां सवाल रूपा के सही या पल्लवी के गलत होने का नहीं है. सवाल है कि भीड़ के साथ बढ़ती तनहाई से निकलने का रास्ता क्या है? शेयरिंग एक बेतर रास्ता हो सकता है लेकिन किससे शेयर करना है इसका फैसला तो आपको ही करना है.

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  5. कोई ऐसा मिले जैसा उस शेर में है,
    " कभी-कभी तो वो इतनी रसाई देता है कि सोचता है तो मुझको सुनाई देता है"
    तो सब समस्या हल हो जाये. किसी से कुछ शेयर न कर के भी शेयर हो जाये.

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  6. Vaise to T.V nahi dekhti but han dekha tha is episode ko & Rupa ne jo sach bole unko dekh kar aisa hi laga.... ki har insaan shayad kabhi- kabhi apno ke beech bhi kitna tanha hota hai

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  7. भगवान से सख्य भाव शायद अपने मन का निकाल बाहर करने के लिये ही होता था। अब टीवी ने भगवान को रिप्लेस कर दिया है। बस!

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  8. Rupa gangully ka episode dekha nahi magar agara wala samachar dekha tha .aisa such jo swyam key sath sath dosaro kee bhi jeendgi prabhavit karey wo man kay bheetar hee acha hai.acha bura daur tou sabkay jeevan may aata hai lakin hamey apney unhee vicharo ko samajik roop say pracharit karna chahiye jinsay samaj may swasth vichardhara ka prachar ho.

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  9. ये सीरियल तो नहीं देखा. पर ये खबर पढने के बाद ये वाला एपिसोड देखने की इच्छा हुई जरूर थी. आपने टिपण्णी में बता दिया वर्ना यूट्यूब पर ढूंढा जाता. शेयर करने वाली बात तो सच है पर सारी बातें कोई शेयर कर पाए ये संभव नहीं शायद. फिर सबको घुटन भी नहीं होती... कुछ लोग थोड़े ज्यादा परेशान हो जाते हैं !

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  10. मेडिकल साइंस भी मानती है कि अगर आप अपने दिल की बात किसी से शेयर करते हैं तो दिल का रोग नहीं लगता है।

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  11. kuch log sach ka samna duniya k samne karte hain to kuch aisa nahin kar pate. rupa ganguli ne duniya k amne ach ka amna kiya magar u jaise halaton me ji rahi duri mahila nahi kar payi. usme duniya k samne paison k liye ach bolne ki himmat nahi thi. iliye usne is dardnaak sach ko hamesha k liye khatam kar dene ki thaan li or aatam hatya kar li. yahi abse bada sach hai

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  12. देवेन्द्र जी के ब्लॉग से होती हुई आप तक पहुंची ....देवेन्द्र जी की फाइलों वाली नज़्म तो लाजवाब लगी ही आपके ये मन के अनुभावों पर विचार भी अच्छे लगे ....हाँ ये तो सच है ब्लॉग एक मानसिक संतुष्टि प्रदान करता है ....!!

    हाँ ये धारावाहिक मैंने भी नहीं देखा था ...आपने वाणी जी की जिज्ञासा पर स्पष्ट कर इस विषय का खुलासा किया तो बात समझ आई ....!!

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