रेटिंग का है ज़माना
कुछ साल पहले तक न टीआरपी का नाम सुना था और न ही पता था कि यह क्या बला है. अब बात बात पर इसका जिक्र होता है क्योंकि आजकल रेटिंग का जमाना है. सफलता-असफलता, पॉपुलैरिटी, पॉवर, इमेज, क्वालिटी, सब का आकलन रेटिंग से होता है. इलेक्ट्रानिक सामान हो या चैनल, सबसे पहले ध्यान उसकी रेटिंग पर जाता. नई मूवी रिलीज होते ही सबसे पहले लोग उसकी स्टार रेटिंग पर नजर डालते हैं. आजकल तो इंसानों की भी रेटिंग होने लगी है. हां, इसका पैमाना थोड़ा अलग है. इंसान की रेटिंग खासतौर से दशहरा, दीवाली, ईद, क्रिसमस, न्यू इयर या बर्थडे पर नापी जाती हैं. अगर आपके पास कार्ड्स, कैलेंडर, डायरी, गिफ्ट, मेल और मैसेज ज्यादा आते हैं तो समझ लीजिए कि आप अच्छी पोजीशन पर हैं, एटलीस्ट लोगों की नजर में. इत्तफाक से कुछ दिन पहले ही न्यू ईयर में प्रवेश किया है. इसी बहाने अपनी रेटिंग (सोकॉल्ड) का भी अंदाज लगाने की कोशिश की. और रेटिंग मीटर अभी भी एक्टिव है. हालांकि मंदी, रेसेशन के चलते इस बार रेटिंग मीटर ग्राफ के केवल दो पिलर- मेल और मैसेज ही आसमान छू रहे हैं. डायरी, कैलेंडर और काड्र्स का ग्राफ काफी नीचे है. मंदी की मार में कॉस्ट कटिंग और 'हींग न फिटकिरी और रंग चोखाÓ का फारमूला सबसे चोखा है. तो आप भी मेल और मैसेज के आधार पर अपनी रेटिंग कर सकते हैं कि आप कितने पावरफुल और पॉपुलर हैं.
आपने अच्छा तरीका बताया !
ReplyDeleteधन्यवाद !
आपने पोस्ट में बड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर लिखा है. ये छोटी-छोटी बातें अक्सर नज़र से गुजर जाती हैं और पता नहीं चलता. और सही भी है. अपनी रेटिंग अगर ख़ुद नहीं करेंगे तो रेटिंग में ईमानदारी नहीं रहेगी. आख़िर हमलोग ख़ुद के बारे में सबकुछ अच्छा ही देखना चाहते हैं.
ReplyDeleteमेल और मेसेज के आधार पर ख़ुद की रेटिंग??
ReplyDeleteयह किस तरह की रेटिंग हुई??सिर्फ़ तोहफों की गिनती से ?इस तरह की लोक प्रियता खोखली होगी.
जब टिप्पणी के आधार पर पोस्टों की रेटिंग होती है , तो मेल और मैसेज के आधार पर खुद की क्यों नहीं ?
ReplyDeleteब्लॉगिंग में टिप्पणी (डायरी/केलेण्डर/गिफ्ट का पर्याय) तो नेटवर्किंग का परिणाम है और वही तय करता है पोजीशन।
ReplyDeleteअहो रूपम! अहो ध्वनि का मामला है!