गंगा..तुम बहती हो क्यूं..!
चाहे चार करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगाएं या दस करोड़, तब भी ढेर सारे पापी बचे रहेंगे क्योंकि वो डुबकी लगाएंगे तो भी उनके पाप नही धुलेंगे. हां, गंगा पहले से ज्यादा गंदी हो जाएंगी. इलाहाबाद स्टेशन पर जो भगदड़ मची उसके लिए जिम्मेदार लोगों के पाप तो कभी नही धुलेंगे भले ही जिंदगी भर गंगा में खड़े रहे. पानी फिर भी अभी समय है आप नहीं जाएंगे संगम में डुबकी लगाने? सारे पाप धुल जाएंगे! ऐसा हम आस्था की वजह से कह रहे हैं. इंडिया में तो नदियों को पूजा जाता है, उन्हें मां और देवी का दर्जा दिया गया है. कहा जाता है कि कुंभ के दौरान संगम में डुबकी लगाने से सारी बुराई धुल जाती है क्यों कि वो जल अमृत के समान होता है. वैसे गंगा हों या यमुना, उद्गम स्थल पर इनका निर्मल जल अमृत समान ही होता है. लेकिन सालों साल हमने इतनी गंदगी, मैल और पाप इन नदियों में धोए हैं कि अमृत तो दूर, नदियों का पानी पीने लायक भी नहीं रह गया. बुरा मत मानिएगा लेकिन आपको क्या लगता है साल भर जो पाप हम सब इन नदियों को गंदा करने में करते हैं वो क्या कुछ मिनट की डुबकी से धुल जाएगा?
आस्था को जाने दें, वैज्ञानिक आधार पर भी ये बात सिद्ध हो रही है कि देश भर की नदियों को गंदा करने में हमने कोई कसर बाकी नहीं रखी है. कहां तो नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता लेकिन अब इन नदियों का पानी हमने पीने लायक छोड़ा है क्या? लेकिन गंगा फिर भी यूं ही बहती रहेगी, मां जो ठहरी.
नदियों को नाला बना दिया है और उसी में नहला कर शुद्धता को दम्भ भरवाया जा रहा है।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक भावपूर्ण आलेख.
ReplyDeleteकमी हम कमीने इंसानों की है।
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