चिरकिन और विकिलीक्स
सब विकिलीक्स-विकिलीक्स चिल्ला रहे हैं. कुछ समय पहले तक इसका नाम भी नहीं सुना था. पूरी दुनिया विकिलीक्स की लीक ’ से दहली हुई है. इसके करता-धरता असांजे तो रातों रात सुपर स्टार बन गए हैं. ये भी कोई लीक है. लीक तो इंडिया के चिरकू किया करते हैं।असांजे इनफारमेशन हैक करके लीक करता है लेकिन विकीलीक्स के इंडियन वर्जन, जनता के पैसे को हैक कर डकार जाते हैं. नीरा राडिया, राजा बैजल, लाली और भी ना जाने कितने इंडियन वर्जन हैं विकीलीक्स के यानी चिरकू. पैसा डकारने के बाद इन चिरकुओं को कब्जियत हो जाती है उसको दूर करने के लिए सीबीआई एनीमा लगाती है. लेकिन हम भारतीय तो अपनी चीजों की कीमत ही नहीं समझते. असांजे हैं क्या? एक इंटरनेशनल चिरकू भर. अपने देश में तो ऐसे चिरकू की भरमार है. यहां के चिरकिन शायर तो विकिलीक्स के बाप थे. जैसे विकिलीक्स का खुलासा सब पर भरी पड़ रहा है उसी तरह शायर चिरकिन का शेर सब शायरों पर बीस पड़ता था। तभी तो उनके लिए कहा जाता था ‘चिरकिन ने चिरक दिया गुलाब के फूल पर, बाकी सब शायर उनके ठेंगे पर.’
चिरकिन का एक शेर अर्ज है:-
चिलकन -ए-महफिल में
इस कदर आना हुआ
पहले थोड़ी ऐंठन हुई
फिर जम के पखाना हुआ’
समझ गए ना, चिरकू कहते हैं चिरकने वाले को . अब ये मत पूछिएगा चिरकना क्या होता है. कोई भी इलाहाबादी इसके अलग अलग मायने विस्तार से समझा सकता है. वैसे जब साफ सुथरी जगह कोई गंदगी कर दे तो समझिए किसीने चिरक दिया है. जैसे साफ दीवार पर पीक करने वाले भी एक तरह से चिरकते ही हैं, बस ‘आउटलेट’ का फर्क होता है. चिरकना एक ऐसी कला है जो गॉड गिफ्टेड होती है जिसको चिरकू कंट्रोल करने की लाख कोशिशों के बाद भी कट्रोल नहीं कर पता. चिरकू यानी एक ऐसा शख्स, जो हमेशा अगड़म-बगड़म खाता रहता है और इस वजह से ज्यादातार उसका मेदा आउटऑफ कंट्रोल रहता है. उसमें हमेशा मरोड़ होता रहता है. उसे पता ही नहीं चलता कि कब कब्जियत दस्त में बदल जाती है और वो जहां-तहां चिरक देता है.
इलाहाबाद जीआईसी में छात्रों की एक चिरकू जमात भी थी जो चिरकू के रूप में आडेंटीफाइड थे. खर्च करने के मामले में भी उनको कब्ज रहता था. पत्रकारों में भी चिरकुओं की कमी नहीं. कोई खबर ठीक से लिखने को कहो तो संक्षिप्त में चिरक देते हैं और जब संक्षिप्त कहो तो पसेरी भर गोबर भांट देते हैं. अब बटोरिए देर तक.
वैसे चिरकुट और चिरकू दो अलग तरह के प्राणी हैं. जरूरी नहीं कि चिरकुट , चिरकू भी हो लेकिन हर चिरकू चिरकुट होता है. चिरकने पर अच्छा खासा शोर मचता है चिरकने वाले को कोई फर्क · नहीं पड़ता.
अब असांजे को ही लीजिए, उन्होंने भी भरतीय चिरकुओं से प्रेरणा लेकर ही चिरकने वाले संगठन का नाम विकिलीक्स रखा है. वो किस देश और व्यक्ति पर चिरक दे, कहा नहीं जा सकता. अभी भी उसका चिरकना जारी है. उनकी ताजी चिरक के लपेटे में आए हैं अपने राहुल भाई. आगे देखिए किसकी बारी है.
सब विकिलीक्स-विकिलीक्स चिल्ला रहे हैं. कुछ समय पहले तक इसका नाम भी नहीं सुना था. पूरी दुनिया विकिलीक्स की लीक ’ से दहली हुई है. इसके करता-धरता असांजे तो रातों रात सुपर स्टार बन गए हैं. ये भी कोई लीक है. लीक तो इंडिया के चिरकू किया करते हैं।असांजे इनफारमेशन हैक करके लीक करता है लेकिन विकीलीक्स के इंडियन वर्जन, जनता के पैसे को हैक कर डकार जाते हैं. नीरा राडिया, राजा बैजल, लाली और भी ना जाने कितने इंडियन वर्जन हैं विकीलीक्स के यानी चिरकू. पैसा डकारने के बाद इन चिरकुओं को कब्जियत हो जाती है उसको दूर करने के लिए सीबीआई एनीमा लगाती है. लेकिन हम भारतीय तो अपनी चीजों की कीमत ही नहीं समझते. असांजे हैं क्या? एक इंटरनेशनल चिरकू भर. अपने देश में तो ऐसे चिरकू की भरमार है. यहां के चिरकिन शायर तो विकिलीक्स के बाप थे. जैसे विकिलीक्स का खुलासा सब पर भरी पड़ रहा है उसी तरह शायर चिरकिन का शेर सब शायरों पर बीस पड़ता था। तभी तो उनके लिए कहा जाता था ‘चिरकिन ने चिरक दिया गुलाब के फूल पर, बाकी सब शायर उनके ठेंगे पर.’
चिरकिन का एक शेर अर्ज है:-
चिलकन -ए-महफिल में
इस कदर आना हुआ
पहले थोड़ी ऐंठन हुई
फिर जम के पखाना हुआ’
समझ गए ना, चिरकू कहते हैं चिरकने वाले को . अब ये मत पूछिएगा चिरकना क्या होता है. कोई भी इलाहाबादी इसके अलग अलग मायने विस्तार से समझा सकता है. वैसे जब साफ सुथरी जगह कोई गंदगी कर दे तो समझिए किसीने चिरक दिया है. जैसे साफ दीवार पर पीक करने वाले भी एक तरह से चिरकते ही हैं, बस ‘आउटलेट’ का फर्क होता है. चिरकना एक ऐसी कला है जो गॉड गिफ्टेड होती है जिसको चिरकू कंट्रोल करने की लाख कोशिशों के बाद भी कट्रोल नहीं कर पता. चिरकू यानी एक ऐसा शख्स, जो हमेशा अगड़म-बगड़म खाता रहता है और इस वजह से ज्यादातार उसका मेदा आउटऑफ कंट्रोल रहता है. उसमें हमेशा मरोड़ होता रहता है. उसे पता ही नहीं चलता कि कब कब्जियत दस्त में बदल जाती है और वो जहां-तहां चिरक देता है.
इलाहाबाद जीआईसी में छात्रों की एक चिरकू जमात भी थी जो चिरकू के रूप में आडेंटीफाइड थे. खर्च करने के मामले में भी उनको कब्ज रहता था. पत्रकारों में भी चिरकुओं की कमी नहीं. कोई खबर ठीक से लिखने को कहो तो संक्षिप्त में चिरक देते हैं और जब संक्षिप्त कहो तो पसेरी भर गोबर भांट देते हैं. अब बटोरिए देर तक.
वैसे चिरकुट और चिरकू दो अलग तरह के प्राणी हैं. जरूरी नहीं कि चिरकुट , चिरकू भी हो लेकिन हर चिरकू चिरकुट होता है. चिरकने पर अच्छा खासा शोर मचता है चिरकने वाले को कोई फर्क · नहीं पड़ता.
अब असांजे को ही लीजिए, उन्होंने भी भरतीय चिरकुओं से प्रेरणा लेकर ही चिरकने वाले संगठन का नाम विकिलीक्स रखा है. वो किस देश और व्यक्ति पर चिरक दे, कहा नहीं जा सकता. अभी भी उसका चिरकना जारी है. उनकी ताजी चिरक के लपेटे में आए हैं अपने राहुल भाई. आगे देखिए किसकी बारी है.
चिरकू सबसे बड़े लीकू हैं।
ReplyDeleteफ़िलहाल तो भारत में चिरकने से ज्यादा लिक हो रहा है वही साफ नहीं हो रहा है चिरकने लगेगा तो क्या होगा |
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । "खबरों की दुनियाँ"
ReplyDeleteबड़े लिकी लोग हैं जी. जहां तहां लिक होते चलते हैं :)
ReplyDeleteमजेदार!
ReplyDeleteक्या बात है राजीव जी आप ने गर्दा मचा दिया
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पोस्ट
सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
ReplyDeleteयह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...
जय हिंद...