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2/20/10
जॉर्ज और लाल मुनिया
आइए आज आपको जॉर्ज शेपर्ड से मिलाता हूं. हमारी टीम के सबसे सीनियर मेंबर. अ जेंटिलमैन विद सिंपल लिविंग. नो कम्प्लेंस नो रिग्रेट्स एंड इंज्वाइंग लाइफ ऐज इट इज. एक अच्छे इंसान और अच्छे नेबर. सो एक दिन उनके पड़ोसी एक हफ्ते के लिए कहीं बाहर जा रहे थे. उन्होंने देखरेख के लिए जार्ज के घर लालमुनिया का अपना पिंजरा रख दिया. जार्ज और उनकी फैमिली ने लालमुनियाओं की अच्छे से देखभाल की. पड़ोसी खुश हुए और वो जार्ज के बेटे के लिए बज्जियों का एक जोड़ा ले आए. जार्ज के घर में इत्तफाक से एक पुराना पिंजरा थ. सो उन्होंने बज्जियों को पिजरें में रखा और उनकी देखभाल करने लगे. लेकिन कुछ दिन बाद एक दिन एक बज्जी मर गया. अकेले बज्जी पर तरस खाकर कर जार्ज बाजार से तीन बज्जी और ले आए. लेकिन कुछ दिन बाद उनमें से दो बज्जी फिर मर गए. लेकिन बचे हुए दोनों पक्षी मेल थे सो अक्सर लड़ते रहते थे. अब जार्ज ने फिर तरस खा कर एक और पिंजरा खरीदा और दोनों को अलग अलग कर दिया. यानी दो बज्जी दो पिंजरे. जार्ज उन्हें रोज दाना चुगाते हैं. पड़ोस में लालमुनिया और जार्ज के यहां बज्जी, सब की जिंदगी आराम से कट रही थी. लेकिन नेबर को फिर कही जाना पड़ा. वो फिर लाल मुनिया का पिंजरा जार्ज के घर रख गए हैं. सो इस समय उनके घर तीन पिजरें हैं और जार्ज सबकी देखभाल कर रहे हैं. इसे कहते हैं हैप्पी एंडिंग.
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अभी तक देश का बेहतरीन किस्सागो असगर वजाहत को कहा जाता था, मैं भी ऐसा ही मानता था, पर देख रहा हूँ, किसी भी बेहद साधारण सी घटना को इस किस्म से पिरो देते हैं की वो किस्सा दिलचस्पी की हद पार कर जाता है कई बार, देखा जाए तो ये चिड़ियों की देखभाल का किस्सा भर था लेकिन ऐसा लिखा की आधी रात में टिपियाना पढ़ रहा है आपके लिखे पर, वाकई मुझे लगता है असली राजीव ओझा ये हैं, वो नहीं जो टीवी की आपाधापी में अपना हुनर इस कदर नहीं दिखा पा रहा था, मैं दूसरों के ब्लॉग नहीं पढता, क्यूंकि हर कोई ज्ञान पेल देता है, और ब्लाग इसके लिए नहीं होते हैं, यकीं जानिये अगर मैं जिन्दा रहा तो आप बस लिखते रहिये और मैं इनका संकलन करके किताब छपवाऊंगा, अद्भुत ..इमानदारी से कहूँ तो आपके लिखे से अभिभूत...अब तो आपकी हर पोस्ट का इन्तजार रहेगा सर, और देश का बेहतरीन किस्सागो कौन राजू बिंदास यार और कौन
ReplyDeleteहृदयेंद्र
हमारे तीनों बज्जी मगर बेचारों को एक ही पिंजरा....बढ़िया किस्सा रहा.
ReplyDeleteबज्जी का मीनिंग क्या होता है ?
ReplyDelete@Girijesh: अरे, वही सुग्गे की एक प्रजाति. इतना भोले मत बनिए गिरिजेश जी. आपने भी तो पाले थे बज्जी. बोले तो लव बर्ड
ReplyDeleteयकीं जानिये अगर मैं जिन्दा रहा तो आप बस लिखते रहिये और मैं इनका संकलन करके किताब छपवाऊंगा,
ReplyDelete------------
बज्जियों पर किताब बढ़िया रहेगी। पर ब्लॉग का ध्येय मात्र किताब छपना होता है?
Happy start and happy ending....zyada happiness bhi kuch logon ko digest nahi hoti ojha ji....lekin bahut badiyan...ek salaah hai...chupchaap padosi ke ghar jaiye... aur uda digiye parinde.. kyonki parinde hote nahi thaharne ke liye, wo to bane hi hain sirf udne ke liye....quaid mein khushi kaisi....unka dard to sochiye
ReplyDelete@Priya: Kaash aap ka ye message koi baheliya padh leta to chidiyon ko pakadne ka dhanda band kar deta.
ReplyDeleteAchhi lagi aapki kissagoi....
ReplyDeleteThodi khushi thodi gam....
ham to kahenge uda to inhein !
ReplyDeleteअमिताभ बच्चन इसे कहते पोएटिक जस्टिस
ReplyDeletebilkul sahi abhishek bhai,, kyu bejaano ko kaid kre.......
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