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12/20/09

याद आएंगे रामलाल


अखबार में काम करता हूं. हत्या, हादसा और भी तमाम बुरी खबरें आती रहती हैं. हम बिना विचलित हुए अपना काम करते रहते हैं. लेकिन कभी कभी कोई खबर दुखी कर जाती है. संडे रात खबर आई कि पुलिस हेड कांस्टबल की कार्बाइन छीन कर उसकी हत्या कर दी गई. मरने वाले का नाम था रामलाल.
सुन कर जैसे झटका लगा. वही राम लाल तो नहीं जिससे हर दूसरे -तीसरे दिन स्कूल के गेट पर मुलाकात हो जाती थी. वही रामलाल जिसने दो दिन पहले ठेले से अमरूद छाटने में मेरी मदद की थी, वही रामलाल जो सोने के दाम बढऩे परेशान था. उसे अपने छोटे बेटे की शादी करनी थी और गहने के लिए पैसे कम पड़ रहे थे. वही रामलाल जिसे देख कर लगता था कि इतना सज्जन व्यक्ति पुलिस में क्यों है. वही रामलाल जो मुख्यमंत्री के ओएसडी की सुरक्षा में तैनात था, वही रामलाल जो ेहमेशा कार्बाइन अपने साथ रखता था. वही राम लाल जो स्कूल के माली की हार्टअटैक से मौत पर दुखी था कि उसकी उम्र तो ज्यादा नही थी.
नहीं पता था कि वीवीआईपी की सुरक्षा में तैनात रामलाल खुद इतना असुरक्षित था. दूसरों के प्रोटेक्शन के लिए जिस कार्बाइन को वो हमेशा अपने साथ रखता था वही उसकी मौत का कारण बन गई. रामलाल से बस थोड़ी दिनों की इतनी सी जान पहचान थी. मेरी ओर से उसे छोटी सी श्रद्धांजलि.

9 comments:

  1. रामलाल की मृत्यु बहुत गहरे संकेत दे रही है। पर अफसोस हम इस बारे में कुछ भी नहीं कर सकते।

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    इसे आप पहचान पाएंगे? कोशिश तो करिए।
    सन 2070 में मानवता के नाम लिखा एक पत्र।

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  2. आप जिन रामलाल को जानते हैं, सब असुरक्षित हैं.

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  3. aisa unhi ke saath hota hai jo vip ki suraksha karte hai,pr unki suraksha ki jimmedari ram bharose,nice

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  4. हर ओर रामलाल मिल जाते हैं, पर उनकी संख्या अब दिन ब दिन घटती जा रही है। आप खुशकिस्मत थे कि आपकी रामलाल से भेंट हुई है। एसे लोगों का जाना सचमुच दुखद है।

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  5. आज ही समाचार पत्र में पढ़ा ! यह घटना इतनी सामान्य नहीं है !
    उत्तर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की धज्जी उड़ना अब रोजाना की बात हो गयी है !
    रामलाल जी जैसे पुलिसकर्मी का यूँ जाना बहुत दुखद है ! उनको मेरी भी श्रद्धांजलि

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  6. पूरी का़यनात असुरक्षित नजर आ रही है इन दिनों । न जाने क्या होगा !

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  7. हां, जब व्यक्तिगत जानते हों तो बहुत धक्का लगता है। अन्यथा एक कॉलम भर होती है खबर।

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  8. रामलाल ! धीरे-धीरे अब कैसी भी खबर हो पढ़कर अजीब नहीं लगता !

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  9. श्रद्धांजलि जो बहुत कुछ कहाँ गयी. सच में, यह व्यवस्था को श्रद्धांजलि है.

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