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9/14/09
टेंशन में रावण
वैसे तो न$फासत और नजाकत के शहर लखनऊ के लोग आमतौर पर खुशमिजाज होते हैं लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां का रावण दशहरा आते ही टेंशन में आ जाता है. आप गलत समझे. रावण को दहन को लेकर कभी टेंशन में नहीं हुआ. ही..ई ..इ हा...हा...हा करते वो खुशी-खुशी जलता है. लेकिन यहां दशहरे के पहले उसकी स्थिति 'ना घर का ना घाट का' वाली हो जाती है. वैसे गली-मोहल्लों में छुटभैये रावणों के दहन में कोई समस्या नहीं है. लेकिन ऐसा कुछ सालों से हो रहा है कि शहर में सबसे बड़ा रावण सीने में जलन आंखों में तूफान लिए दर-दर भटकने लगता है कि किसी मैदान में जगह मिल जाए. पहले वह शहर के बीचों बीचों बीच बेगम हजरत महल पार्क में फुंकता था. फिर जगह छोटी पडऩे लगी तो उसे गोमती किनारे लक्ष्मण मेला मैदान में खदेड़ दिया गया. एक-दो साल सब ठीक रहा फिर लक्ष्मण रूपी पर्यावरण प्रेमी नाराज हो गए, कहा- भैया राम, रावण तो गोमती नदी प्रदूषित कर रहा है. बस फिर क्या था, रावण को शहर के बाहर स्मृति उपवन में ठेल दिया गया. कहा जा रहा था कि इस साल रावण वहीं जलेगा. तैयारियां शुरू हो गई थी. आश्वस्त रावण का आकार और वेट इस खुशी में बढ़ गया था. लेकिन ऐन वक्त पर उस मैदान में सभी काम रोकने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया. अब रावण फिर टेंशन में है. वह बाइक से पूरे शहर में घूम घूम कर मैदान तलाश रहा है. दशहरा करीब आ रहा है. आशंका है कि कही टेंसना कर मैदान के बाहर ही आत्मदाह ना कर ले. बाकी प्रभु की इच्छा. देखिए शायद उसे स्मृति उपवन में घुसने की अनुमति मिल जाए.
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अब आया न रावण! एक बार तो फीड में नॉट फाउण्ड हो गया था! इस बार तो मय तस्वीर-मोटर साइकल के आया है!
ReplyDeleteराम करें रावण को जलने को जगह मिल जाये! न मिले तो भी क्या - रामलला खुद भी टेण्ट में रह रहे हैं!
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ReplyDeleteRAvan kahin bhi ho Ram maar hi denge ...stressful situation mein laughter ki ye doze acchi hai ... shukr manaiye ki aap ramayan & mahabharat ke kirdaron ka commedy mein istemaal kare lete hai.....galti se bhi agar topi aur dhadi se samband rakhne walo ke bhagwaan ji ke bare mein kuch kah diya to sampradayik ho jayenge :-)
ReplyDeleteबेचारा रावण :) एक ठो वकील काहे नहीं रख लेता.
ReplyDeleteरावण तो हमारे मन में रहता है, उसे और किसी उपवन की जरूरत है !!!
ReplyDeleteGirjesh Rao: ई फोटो देख कर कुछ शंका सी हो रही है। रामलीला में कब से आप पार्ट अदा करने लगे? का का रूप छुपाए बैठे हैं !
ReplyDeleteअब रवणवा कैसे भस्मीभूत होता है जे देखन की बात है..हमें भी उत्सुकता है।
राजीव जी आपने तो मुझे सातवें आसमान पर बैठा दिया । ब्लाग-श्लाग कालम में “सुदर्शन” को स्थान देने के लिये मैं आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हूं । पिछले एक साल से मैं ब्लागिंग कर रहा हूं । “सुदर्शन” मेरा हास्य-व्यंग्य पर आधारित ब्लाग है । सैकड़ों टिप्पणियां पिछले एक साल में प्राप्त हुयीं लेकिन आपके द्वारा ”आई- नेक्स्ट“ में की गयी “सुदर्शन” पर ये टिप्पणी अब तक की सबसे बड़ी और प्रोत्साहित करने वाली टिप्पणी है । “सुदर्शन” पर हास्य व्यंग्य और कार्टून्स पोस्ट करते मुझे एक साल बीत गये । अभी कुछ दिन से हल्की सी निराशा और आलस्य मन में पैदा होने लगा कि ब्लागिंग एक आसान प्लेटफार्म जरूर है लेकिन इसका दायरा बहुत छोटा है । एक छोटा सा समूह ही बार बार एक दूसरे को पढ़ता है और टिप्पणी करता है । रोज इस शौक पर 3-4 घंटे बर्बाद करना क्या समय की बर्बादी नहीं है (अपने समय की और पाठकों के समय की भी)। आर्थिक लाभ ब्लागिंग से नगण्य है लेकिन फिर यह भी देखता हूं कि इंडीब्लागर ने सौ में 80 नम्बर “सुदर्शन” को दिये हैं और हर महीने पाठकों की संख्या में थोड़ा सा ही मगर इजाफा तो हो ही रहा है । आपकी इस कालम/टिप्पणी ने मेरे अंदर फिर से उत्साह का संचार किया है । इसके लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूं ।
ReplyDeleteआपके ब्लाग ”ओझागीरी और राजूबिंदास“ पर मैं गया हूं लेकिन नियमित नहीं, अब आता रहूंगा ।
.hamaray samaj may dheeray dheeray tyoharo kee camak kam hoti ja rahi hai aur agar aisey samsya ka samadhan na hua tou sambhave hai kee hum bhavishya may apnay sanskaro aur reeti revajo ko bhlaney kay liye majboor ho jaye
ReplyDeletesir maine lucknow may aisa dekha hai lakin appney es samasya ko shabdo kay madhyam say awgat
kara kar nishchay hi srahneeya karya kiya hai.