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7/12/09
व्हाट ऐन आइडिया सर जी!
पॉपुलेशन कंट्रोल के लिए बिजली जरूरी है. बिल्कुल सही बात है. बिजली मतलब विकास, विकास मतलब बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य यानी बेहतर जीवन स्तर और बेहतर जीवन स्तर से आबादी अपने आप काबू में आने लगती है. ये तथ्य प्रमाणित है. लेकिन गांव-देहात में आबादी पर काबू पाने के लिए बिजली की एक और भूमिका पर तो ध्यान ही नहीं गया था. गांवों में बिजली होगी तो लोग टीवी ज्यादा देखेंगे. इतना ज्यादा देखेंगे कि उनको रतिक्रीड़ा का समय ही नही मिलेगा. मिलेगा भी तो टीवी देख देख कर इतना थक चुके होंगे कि कमरे की बत्ती बुता कर चुपचाप सो जाएंगे. यानी नो मोर बच्चा. बिजली और टीवी का प्रयोग कंट्रासेप्टिव के रूप में ? क्या आइडिया है सर जी!
सर जी का एक आइडिया और है कि शादी ३० तीस साल के बाद की जाए. शहरों में तो लोग अब वैसे ही कैरियर बनाते ३० के हो जाते हैं. शादियां ३० के बाद ही होती हैं. लेकिन गांव में ३० साल के लोग पुरायठ माने जाते हैं यानी शादी की एक्सपायरी डेट पार कर चुके. काश, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद जैसा सोचते हैं वैसा ही होता लेकिन व्यावहारिक रूप में स्थिति तो ठीक उलट है. सर जी ने ये कैसे मान लिया कि रात को जितने लोग टीवी देखते हैं वो प्रवचन, भजन कीर्तन और अन्य बड़े सात्विक टाइप के कार्यक्रम ही देखते होंगे और फिर पत्नी से कहते होंगे कि हे प्रिये जब मैं टीवी देख कर इतना थक जाता हूं तो तुम तो और थक जाती होगी क्योंकि तुम्हें तो घर के बाकी काम भी करने पड़ते हैं लिहाजा शुभरात्रि. लेकिन माफ कीजिएगा शालीनता से परे जाकर कर बात कर रहा हूं. रात में टीवी पर पारा गरम जैसे देसी ठुमके वाले मसालेदार सेक्सी कार्यक्रम, एमटीवी और एएक्सएन पर हॉट रियलिटी शोज और एडल्ट मूवी की भरमार होती है. ऐसे कार्यक्रम देख थकाहारा व्यक्ति भी जोश में आ जाता है और अपने पतिधर्म को तत्काल पूरा करना पुनीत कर्तव्य समझता है भले ही उसकी घराली किसी भी स्थिति में हो. नतीजा- पॉपुलेशन में कुछ और वूद्धि. तो सर जी, आपके कश्मीर क्या किसी भी राज्य में ये आइडिया कारगर होगा इसमें संदेह है.
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हा हा क्या आईडिया है ! परिवार नियोजन के लिए मुफ्त में टीवी बाटना चाहिए सरकार को और साथ में सीडी पार्लर को भी बढावा दे दो... :) नतीजा जो भी हो देखा जाएगा. अब नेक इरादे से किया गया काम है कड़े तो होनी ही चाहिए :)
ReplyDeleteसही आईडिया!!
ReplyDeletewhat an idea sir ji
ReplyDeletewhat an idea sir ji
ReplyDelete:)
ReplyDeleteha ha
हम जो करना था कर चुके! टीवी बंटे चाहे न बंटे। बिजली आये चाहे न!
ReplyDeleteदो के बाद स्टॉप कर चुके हम जैसे थकेलों के लिए टी वी हो या न हो कोई फरक नहीं पड़ता।
ReplyDeleteरही बात बिजली की तो लोगों ने इसके साथ 'न जीना' सीख लिया है। अब तो बस टी वी की बिजली का ही इंतजार रहता है जिसके लिए रात के शो की भी आवश्यकता नहीं- गिरी गिरी गिरी गिरी बिजली गिरी, किस..... अ रा रा हिस्स ..