Featured Post
3/5/09
'छोटा मुंह बड़ी बात'
आजकल ग्रैंड फिनाले का दौर चल रहा। बच्चों से लेकर बड़ों तक. कहीं बोर्ड तो कहीं एनुअल एग्जाम्स. सब परफार्म करने में जुटें हैं. बेहतर कॅरियर और फ्यूचर के लिए दे आर बाउंड टू परफार्म. सो उन पर प्रेशर तो रहेगा ही. कहते हैं कि बचपन में प्रेशर नहीं होता है. थोड़ी सी लर्निंग, थोड़ी सी डिस्पिलिन और ढेर सारी मस्ती. लेकिन क्या ऐसा हो रहा है? बेहतर परफार्म करने के लिए बच्चे भी बड़ों की तरह प्रेशर में हैं. लगातार. ये पे्रशर बड़ों ने यानी पैरेंट्स ने ही डाला है. रियलिटी शोज और सीरियल्स में अचानक बच्चों की फौज कूद पड़ी है. सोचिए बच्चे बड़ों की तरह क्यूं बिहेव कर रहे हैं. किसी बच्ची के दूध के दांत टूटे हुए हैं तो किसी के टूटने के बाद फिर से उगे हैं. इनमें कोई अनारकली बना है तो कोई मेच्योर लेडी की तरह बिहेव कर रहा है. कहीं सामाजिक कुरीतियों से लडऩे के बहाने जीवन की सच्चाई को कुछ ज्यादा ही विस्तार से दिखाया जा रहा है. इसमें किरदार निभा रहे हैं बच्चे. छोटे मुहं बड़ी बात कर रहे हैं बच्चे और उस पर ताली बजा रहे हैं बड़े. बजाएं भी क्यों ना, उनसे काम भी ते बड़े ही करा रहे हैं. अपने लाडलों को चंद दिनों का स्टार बनाने के लिए कहीं उनके सितारों को गर्दिश में तो नहीं डाल रहे हम. बच्चों के जिस डॉयलाग और जिस फरफारमेंस पर लोग मुग्ध होते हैं उसे याद करने और रिहर्सल में कितना प्रेशर पड़ता है पर इसका अंदाज नहीं है लोगों को. कहीं यह चाइल्ड लेबर का 'माइल्ड वर्जनÓ तो नहीं. निसंदेह ये बच्चे टैलेंटेड हैं. रियलिटी शो हों या रियल लाइफ, बच्चों को बच्चे के ही रोल में रहने दें. 'छोटा मुंह बड़ी बातÓ के नए ट्रेंड से कहीं ये बूमिंग टैलेंट बोंसाई ना बन जाएं.
लेबल:
चाइल्ड लेबर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वर्तमान पीढ़ी भांड़ है और भंडैती की बच्चों से भी अपेक्षा करती है!
ReplyDeleteapka lekh wakai me samaj ki sachai pesh kar rahi hai.
ReplyDelete