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4/10/10
एक ‘नाइस’ चपत
चलिए आज थोड़ी नोकझोंक, थोड़ी दिल्लगी, थोड़ी बंदगी और थोड़ा इमोशनल अत्याचार हो जाए. ब्लॉग के मैदान में भी क्रिकेट की तरह हर कैटेगरी के खिलाड़ी मिल जाएंगे. कुछ टेस्ट मैच की तरह टुक-टुक कर देर तक खेलने वाले, कुछ वन डे मैच की तरह मौके की नजाकत समझ कर शाट लगाने वाले और कुछ ट्वेंटी-ट्वेंटी स्टाइल में हमेशा चौके-छक्के लगाने के मूड में रहने वाले. अब खिलाड़ी हैं तो दर्शक भी होंगे. दर्शक भी तरह- तरह के. कुछ खा-म-खा ताली बजाते हैं, कुछ अच्छे खेल पर एक्साइटेड हो हर्ष ध्वनि करते हैं तो कुछ बात बात पर नोकझोंक करने को आतुर रहते हैं. कुछ तो एग्र्रेसिव हो मैदान मे ं कचरा भी फेंकने लगते हैं. अब वो खिलाड़ी कैसा जिसे शाबाशी या गाली ना मिले. आप समझ गए होंगे खिलाड़ी से यहां मतलब ब्लागर्स से है. उसके रीडर्स और कमेंट करने वाले हैं दर्शक. सो आज ब्लॉग्स में कमेंट्स के खेल पर ही कंसन्ट्रेट करते हैं.
मुझे लगता है कि लोग ब्लॉगिंग की शुरुआत तो अक्सर स्वान्त:सुखाय या अभिव्यक्ति के लिए करते हैं लेकिन जब उन पर कमेंट बरसने लगते हैं, तो उनके अंदर के क्रियेटिव किड की भूख बढ़ जाती है और वो कुछ भी खाकर कुछ भी उगलने और उगलवाने पर उतारू हो जाता है. कल का बच्चा अचानक सचिन तेंदुलकर की तरह ब्लॉगिंग के मैदान में शाट लगाने लगता है. जिस तरह अच्छे शाट पर तालियां मिलती उसी तरह अच्छी पोस्ट पर अच्छी टिप्पणियां भी मिलती हैं. जितने ज्यादा कमेंट्स उतनी ज्यादा पोस्ट. धीरे-धीरे स्वान्त:सुखाय लिखने वाला ब्लॉगर बावलों की तरह किसी भी विषय पर कुछ भी लिखने लगता है. एक अच्छा भला लिखने वाला सर्वज्ञानी, अभिमानी उपदेशक और आलोचक की भूमिका में कब आ जाता है, उसे पता ही नहीं चलता. उसके लेखन में मौलिकता की जगह मैनेजमेंट हावी हो जाता है. किसी अच्छे भले लेखक का दिमाग खराब करने में टिप्पीबाजों की बड़ी भूमिका होती है. कोई कैसा भी लिखे, हर पोस्ट पर ये टिप्पणीबाज वॉह-वाह, शानदार पोस्ट, नाइस, एक्सेलेंट, बधाई, ऐसा ही लिखते रहें, जैसे चालू कमेंट कर अपना राग एक ही सुर में आलापते रहतें हैं. जैसे हाल ही में दंतेवाड़ा में नक्सिलियों ने सीआरपीएफ के जवानों का नरसंहार किया. उस पर एक ब्लॉगर ने दुख व्यक्त करते हुए नक्सली समस्या के समाधान पर बड़ी संजीदगी से कुछ कुछ बातें लिखीं थीं. उस पर एक कमेंट आया ‘नाइस’. इस कमेंट से ये पता नहीं चल पाया कि वो सज्जन किसको नाइस कह रहे हैं. एक और कमेंट था ‘बिल्कुल सही लिखा है’. अब आप दिल पर हाथ रख कर बताइए कि आप जो भी पोस्ट लिखते हैं उसे सही समझ कर ही तो लिखते हैं. कुछ टिप्पणीबाज कमेंट तो संक्षिप्त करेंगे लेकिन अपनी गली-मोहल्ले और घर का पता मोबाइल नंबर के साथ विस्तार से लिखेंगे. ऐसे ही एक और चिंतक-विचारक और बौद्धिक किस्म के ब्लागर हैं. वो चाहते हैं कि उनकी हर पोस्ट पर नेशन वाइड डिबेट हो लेकिन खुद आपकी पोस्ट पर एहसान करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी ‘पान पर चूने की तरह’ लगा आगे बढ़ जाते हैं.
(जैसा आई नेक्स्ट के ब्लॉग-श्लॉग कालम में लिखा)
लेबल:
‘पान पर चूने की तरह’
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nice
ReplyDeleteइस पोस्ट पर नेशन वाइड बहस कैसे हो?
ReplyDelete@ एक और चिंतक-विचारक और बौद्धिक किस्म के ब्लागर हैं. वो चाहते हैं कि उनकी हर पोस्ट पर नेशनल वाइड डिबेट हो लेकिन खुद आपकी पोस्ट पर एहसान करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी ‘पान पर चूने की तरह’ लगा आगे बढ़ जाते हैं.
ReplyDeleteये 'एक और' सज्जन/ सजनी कौन हैं ?
देखिए एक मात्रा से कितना अर्थ बदल गया - शायद आप 'ओर' लिखना चाह रहे थे :)
@Girijesh: Nahi aur hi likhna chah raha tha. Naam me kya rakha hai .. samajne vale samajh jayenge
ReplyDeleteचलिए करते हैं इसी पर एक बहस का आह्वान !
ReplyDelete@Arvind MIshra: Jane deejiye is hamam me kai ...! hain :)
ReplyDeleteकुछ टिप्पणीबाज कमेंट तो संक्षिप्त करेंगे लेकिन अपनी गली-मोहल्ले और घर का पता मोबाइल नंबर के साथ विस्तार से लिखेंगे. ऐसे ही एक और चिंतक-विचारक और बौद्धिक किस्म के ब्लागर हैं. वो चाहते हैं कि उनकी हर पोस्ट पर नेशन वाइड डिबेट हो लेकिन खुद आपकी पोस्ट पर एहसान करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी ‘पान पर चूने की तरह’ लगा आगे बढ़ जाते हैं.
ReplyDeleteha....ha,,,,ha....ha....ha,,,,ha....ha,,,ha..ha,,,ha,,,ha,,ha
aanand aa gaya padhkar
padhte hi jo hasi aayi to bas hasta hi chala gaya.
हा हा ..सच में आनदं आ गया! ये पढने के बाद तो मेरे ब्लॉग पे कमेन्ट करने वाले लोगों के ऊपर मुझे शंका होने लगी है! आगे से मैं भी दूसरों के ब्लॉग पे टिपण्णी करने से पहले दो बार सोच लिया करुँगी....
ReplyDeletenice
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
nice!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसे 11.04.10 की चर्चा मंच (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
नाइस... आप बहुत अच्छा लिखते हैं. हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है :)
ReplyDeleteVery - Very Nice
ReplyDeleteGR8....:):)
हा हा!! बहुत शोध परक आलेख है. :)
ReplyDeleteबहस बनती है ।
ReplyDeleteऐसे ही एक और चिंतक-विचारक और बौद्धिक किस्म के ब्लागर हैं. वो चाहते हैं कि उनकी हर पोस्ट पर नेशन वाइड डिबेट हो लेकिन खुद आपकी पोस्ट पर एहसान करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी ‘पान पर चूने की तरह’ लगा आगे बढ़ जाते हैं.
ReplyDeleteAchha mudda achhi bahas,achha shodh liye aapki post vicharniya bindu hai.......
धीरे-धीरे स्वान्त:सुखाय लिखने वाला ब्लॉगर बावलों की तरह किसी भी विषय पर कुछ भी लिखने लगता है. एक अच्छा भला लिखने वाला सर्वज्ञानी, अभिमानी उपदेशक और आलोचक की भूमिका में कब आ जाता है, उसे पता ही नहीं चलता. उसके लेखन में मौलिकता की जगह मैनेजमेंट हावी हो जाता है.
ReplyDelete--------
बहुत सही! बोले तो बहुत नाइस!
very nice... hi5
ReplyDeleteBahut sahi...NICE....hamko bhi Inaam ke liye nominate kariye.....aajkal bahut Inaam bhi bat rahe hain....koi shortcut formula bataya jaaye agli post mein :-)
ReplyDeletewaah sir bahut dino se main ye baat keh raha hun...agar post na samajh me aaye to comment na karein....agar padge na to bhi na karein...
ReplyDeleteupar hi ek nice wali shakhsiyat hain...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
धीरे-धीरे स्वान्त:सुखाय लिखने वाला ब्लॉगर बावलों की तरह किसी भी विषय पर कुछ भी लिखने लगता है. एक अच्छा भला लिखने वाला सर्वज्ञानी, अभिमानी उपदेशक और आलोचक की भूमिका में कब आ जाता है, उसे पता ही नहीं चलता. उसके लेखन में मौलिकता की जगह मैनेजमेंट हावी हो जाता है.
ReplyDeleteये बात बिलकुल खरी कही है..अच्चा भला चिन्तक मात्र ब्लोगर ही बन कर रह जाता है....बस लिखना है चाहे कुछ भी...और टिप्पणियाँ तो मिल ही जातीं हैं तो मन की भूख भी शांत हो जाती है....:):):)
नो कमेंटस. वैसे चूने के बिना पान !! मजा नहीं आयेगा. हाँ, कत्था भी होना चाहिये.
ReplyDeleteऔर आपकी इस पोस्ट के साथ ही हिंदी ब्लोग्गिंग में नाईस नामक टिप्पणी अमरत्व को प्राप्त हो गई है , अभी ये कई इतिहास रचेगी
ReplyDeleteकुछ चिरकुट ब्लॉगर होते हैं, जो कमेंट की उम्मीद तो करते हैं, दूसरी जगह से मसाला भी टीपते हैं और उस ब्लॉग पर कमेंट तक करने से मुंह चुराते हैं। कुछ ब्लॉगर मेरे जैसे काहिल होते हैं और जब मैटर प्रिंट हो जाता है और उसे यूनीकोड में बदलने की जहमत भी नहीं रहती तो ब्लॉग पर दे मारते हैं।
ReplyDeleteलो गुरु अपन ने भी आपके ब्लॉग पर आमद दे दी। अभी सिर्फ एक पोस्ट पढ़ी है मजा आ गया। शेष पठन पाठन चल रहा है।
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