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3/20/10
बज़बज़ाते ब्लॉगर
आपने भुन-भुनाहट सुनी है ना. अरे वही जिसे इंग्लिश में बज कहते हैं. भौंरे, भुनगे, मक्खी या मच्छर, भुन-भुनाहट किसी की हो, हम इसे इग्नोर नहीं कर सकते. इनकी साउंड फ्रीक्वेंसी इरिटेट भी करती हैं लेकिन ब$ज इरिटेट नहीं अट्रैक्ट करता है. वो सेलेब्रिटी, इंवेंट या प्रॉडक्ट कैसा जिसमें ब$ज ना हो. सो आज ब्लॉगर्स ब$ज की बात करते हैं. वैसे तो ब्लॉग जगत में भुन-भुनाने वाले भुनगों और भौंरों की भरमार है. इनमें कुछ लुभाते हैं, कुछ डंक मारते हैं. ब्लॉग की भुन-भुनाहट फेसबुक और ट्वीटर पर तो पहले भी सुनाई पड़ती थी पर गूगल दादा के ब$ज ने सबका बाजा बजाना शुरू कर दिया है. कहा तो ये भी जा रहा है कि जल्दी गूगल, ब$ज का बॉस बन बैठेगा. गूगल ने जब से जी मेल पर बज़-बज़ाहट शुरू की है, हर तरफ ब$जर सुनाई पड़ रहा है. ब्लॉगर्स अब ब$जर की भूमिका में भी हैं. उनकी भुन-भुनाहट अचानक तेज हो गई है. फेसबुक और ट्वीटर के भौंरे और भुनगे फेंसिंग पार पर गूगल के बाड़े में मंडराने लगे हैं. बगीचा फूलों से लदा है और ब$जर्स के झुंड के झु़ंड कभी इस फूल कभी उस फूल पर मंडरा रहे हैं. कुछ ब्लागर्स तो ब्लॉग लिखना भूल कर बजिंग में बिजी हैं. और कुछ सयाने ब्लॉगर्स तो अपनी पूरी की पूरी पोस्ट ही ब$ज में उड़ेल देते हैं.
ब$ज की हालत यह है कि कब चुहलबाजी से शुरू हुई बात गंभीर बहस का रूप ले लेती है, पता ही नहीं चलता. ब$ज के बहाने आप अपने कांटैक्ट ग्रुप से होते हुए दूसरों के कांटैक्ट तक पहुंच सकते हैं. किसी को कहीं भी टीप लगाने की पूरी छूट है. किसी को चिकोटी काटिए, उस पर असर ना पड़े तो किसी और को चपत लगा कर देखिए, कभी ना कभी तो भुन-भुनाएगा ही. उनके ऐक्शन-रिऐक्शन का मजा ही कुछ और है. कभी-कभी विषय कुछ होता है और बहस किसी और बात को लेकर शुरू हो जाती है. जैसे किसी ने अपनी फोटो की जगह कैरीकेचर लगा दिया, किसी ने लुक्स पर कमेंट किया तो कोई पहनावे की नापजोख करने लगता है. किसी को कैरीकेचर इनोसेंट लगता है, किसी को फनी. किसी ने कहा कि आपने क्या पहन रखा है-बरमुडा, घुटन्ना या नेकर? बस कोई बरमुडा का इतिहास बताने लगा तो कोई घुटन्ने का बखिया उधेडऩे लगता है. एक साहब ने तो इसकी डिजाइनिंग का ऐसा पाठ पढ़ाया कि बड़े बड़े फैशन डिजायनर पानी भरें. तो आप भी मजा लीजिए ब$ज का. अरे..देखिए कोई भुनभुना रहा है.
(जैसा कि आई नेक्स्ट के ब्लॉग-श्लॉग कॉलम में लिखा)
लेबल:
भुन-भुनाहट
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खूब बजबजा रहे हैं श्रीमान. हाल ही में आपका लिया गुलजार का साक्षात्कार भी पढ़ा. आदर.
ReplyDelete.nice
ReplyDeleteबज्ज तो सबसे बड़ा टाइमवेस्ट है. इसीलिए इसे फ्रॉम डे वन डिसेबल कर रखा है. वैसे भी जीमेल को हम थंडरबर्ड में प्रयोग करते हैं, जहाँ बज्ज का कोई काम ही नहीं है, जब तक कि इसका कोई प्लगइन या एडऑन कोई बंदा बना न ले!
ReplyDeleteलग रहा है महामृत्युंजय मन्त्र कहीं मोडीफाई न हो जाये - ॐ त्रियंबकम् बज़ामहे!
ReplyDeleteब्लाग में जो बजबजाते हैं
ReplyDeleteजैसे
दूसरे की खुजली खुद खुजाते हैं
:)
ReplyDeleteNice comment> I think Buzz is user friendly & it does not wastes time/
ReplyDeletesir blogger baj-bajate nahi buj-bujate hain....
ReplyDeleteapne sahi kaha sir, n padne vaalon ko anayas hi apki post ki aur khich late hai baz bzate blog.
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