सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है , न हाथी है न घोड़ा है ...वहां पैदल ही जाना है ... यह गाना करीब ५० साल पहले बनी फिल्म तीसरी कसम का है . वहीदा रहमान और राज कपूर की इस फिल्म का गाना क्या है पूरी ज़िन्दगी का फलसफा है . फिल्म में राज कपूर ने तीन कसमे खाई थी . हाल ही में मेंरे साथ भी कुछ ऐसा हादसा हुआ की मैंने भी तीन कसमें खाई .
गरीब रथ एक्सप्रेस से मैं घर जा रहा था . रिजर्वेशन कन्फर्म था . ऊपर की बर्थ थी लेकिन चिपचिपाती उमस के बाद कोच में ठंडी हवा के झोंके लगे तो नीचे बैठ थोडा सुस्ताने लगा. बैग अपनी बर्थ पर ऊपर रख दिया. ट्रेन चली राजनीत पर बहस भी चल पड़ी . आधा घंटा कैसी बीता पता ही नहीं चला. पानी की बोतल के लिए बैग की तरफ हाथ बढ़ाया . लेकिन यह क्या ..? बैग ऊपर नहीं था . मैं नीचे बैठा था और किसी ने बड़ी सफाई से ऊपर से बैग साफ कर दिया था . न मुझे न सह यात्रियों को समझ आयाकि बैग गया कहाँ . कीमती सामान के नाम पर बैग में बिलकुल नया लैपटॉप, १६ -१६ जीबी के तीन पेन ड्राइव और एक स्मार्ट फोन था. जरूरी सामान के नाम पर पढने वाला एक चश्मा , स्कूटर और अलमारी की चाभियाँ और एक हफ्ते पहले खरीदी एक कच्छी थी. इसके बाद एफ़ाइआर की औपचारिकता पूरी की गयी .
आमतौर पर लैपटॉप लेकर यात्रा नहीं करता . लेकिन कंपनी ने कुछ दिन पहले पुराने की जगह एक लेटेस्ट लैपटॉप दिया था. इस लिए कर्त्तव्यपारायणता से परिपूर्ण था . सोचा ऑफिस के कुछ काम, ऑफ के दिन घर से भी निपटा लूँगा सो लैपटॉप रख लिया . पता नहीं किसकी नज़र लग गयी . बैग मेरा चोरी हुआ था लेकिन मैं चोर जैसा मुह लिए पैदल ही घर पंहुचा . उस दिन मैंने भी तीन कसमे खाई.....
१. ट्रेन में लैपटॉप लेकर नहीं चलूँगा .
२.यात्रा में बैग हमेशा अपने पास आँख के सामने रखूँगा
३. और तीसरी कसम ..कभी ऑफिस को घर नहीं ले जाऊंगा .
गरीब रथ एक्सप्रेस से मैं घर जा रहा था . रिजर्वेशन कन्फर्म था . ऊपर की बर्थ थी लेकिन चिपचिपाती उमस के बाद कोच में ठंडी हवा के झोंके लगे तो नीचे बैठ थोडा सुस्ताने लगा. बैग अपनी बर्थ पर ऊपर रख दिया. ट्रेन चली राजनीत पर बहस भी चल पड़ी . आधा घंटा कैसी बीता पता ही नहीं चला. पानी की बोतल के लिए बैग की तरफ हाथ बढ़ाया . लेकिन यह क्या ..? बैग ऊपर नहीं था . मैं नीचे बैठा था और किसी ने बड़ी सफाई से ऊपर से बैग साफ कर दिया था . न मुझे न सह यात्रियों को समझ आयाकि बैग गया कहाँ . कीमती सामान के नाम पर बैग में बिलकुल नया लैपटॉप, १६ -१६ जीबी के तीन पेन ड्राइव और एक स्मार्ट फोन था. जरूरी सामान के नाम पर पढने वाला एक चश्मा , स्कूटर और अलमारी की चाभियाँ और एक हफ्ते पहले खरीदी एक कच्छी थी. इसके बाद एफ़ाइआर की औपचारिकता पूरी की गयी .
आमतौर पर लैपटॉप लेकर यात्रा नहीं करता . लेकिन कंपनी ने कुछ दिन पहले पुराने की जगह एक लेटेस्ट लैपटॉप दिया था. इस लिए कर्त्तव्यपारायणता से परिपूर्ण था . सोचा ऑफिस के कुछ काम, ऑफ के दिन घर से भी निपटा लूँगा सो लैपटॉप रख लिया . पता नहीं किसकी नज़र लग गयी . बैग मेरा चोरी हुआ था लेकिन मैं चोर जैसा मुह लिए पैदल ही घर पंहुचा . उस दिन मैंने भी तीन कसमे खाई.....
१. ट्रेन में लैपटॉप लेकर नहीं चलूँगा .
२.यात्रा में बैग हमेशा अपने पास आँख के सामने रखूँगा
३. और तीसरी कसम ..कभी ऑफिस को घर नहीं ले जाऊंगा .
Accha hai sir.
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