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6/14/16

का.. बे चिल कर रहे हो का?


बात बहुत पुरानी नहीं है। यही कोई दो- ढाई दशक पहले, अंगरेजी बोलने वाला अपने को नवाब समझता था भले ही लिखने में बहुत मिस्टेक करता हो। लेकिन ढेर सारे ऐसे लोग थे जो ग्रामेटिकली करेक्ट अंगरेजी लिखते लेकिन पब्लिक में बोलने में लटपटा जाते। रैपिडेक्स भी उनका हौसला नहीं बढ़ा सका। भला हो इंटरनेट, सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन का, अंगरेजी का अब सोशलाइजेशन हो गया है। 
अब सब धान बाइस पसेरी।  एफबी, वाट्सऐप पर जिसे देखो अंगरेजी ढेले हुए है। नुक्कड़ पर बरफ बेचने वाला बबलू भी और चौराहे पर गुटखा बेचने वाला गुड्डïू भी। बस कम्युनिकेट हो जाए कि आप कहना क्या चाहते हैं, ग्रामर भले ही गलत हो.? हू केयर्स। जस्ट चिल यार टाइप। हाथ में स्मार्ट फोन (भले ही चीनी ब्रांड), दोनों कान में ठेपी, फटही जींस उसके पीछे खोंसा हुआ माबाइल, खोपड़ी के बचे बाल को बार-बार खड़ा करने का असफल प्रयास करते हाथ, बिना मोजे का कैनवस का जूता। सब लगे हैं कूल डूड बनने और दिखने की कोशिश में।  इन्हें देख अपको लगेगा वॉव..क्या कूल हैंं। लेकिन तभी देसी लहजे में सवाल दागेगा - का.. बे चिल कर रहे हो का? नहीं यार एक फिलिम देख रहे .. क्या माइंड ब्लोइंग फिलिम है गुरू। 
कूल डूड सा दिखने और कडक़ अंगरेजी तोडऩे वाला यह लौंडा इंटर फेल हो तो अचरज नहीं। ऐसे लोग मोमो या चाऊमीन में चिली सॉस कस के पेलते हैं फिर सुबह घंटा भर कमोड पर चिलकते हुए चिल करते (निकालते) हैं। गुद्दी (खोपड़ी के पीछे का हिस्सा) घुटाए और आगे के बाल को जेल लगा कर खड़ा किए डूड इसी तरह की बात करते कहीं भी मिल जाएंगे। लोअर, मिडिल और अपर सब क्लास में यही हाल। पूरा समाजवाद है। अपर क्लास का डूड महंगे पार्लर में गुद्दी घुटवाता है तो गरीब डूड अपनी गल्ली के सैलून में खोपड़ी पर चाइना मशीन चलवाता है। 
एक जमाना था जब लोग बाल को सलीके से संवारने के लिए जेब में कंघी रखते थे। अब कैजुअल दिखने के लिए बाल बार बार बिगाड़ते चलते हैं, अपलोड- डाउनलोड टाइप।  वाई-फाई स्पीड  बढिय़ा है तो चिल करते नहीं है नही तो चीखते हैं। और हम चिलचिलाती धूप में चिल करते इन कूल डूड को देख बोल ही देते हैं .. वॉव.. माइंड ब्लोइंग..!  

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