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5/7/11

चकर-चकर


दिनभर चकर-चकर करना, दोस्तों के साथ किसी भी सब्जेक्ट पर गपियाना, किसी मसले पर बेवजह टांग अड़ाना और किसी मुद्दे पर गंभीर बतियाना, सबकुछ ब्लॉगिंग के दायरे में आता है. जैसे कोई किसी अनजान शहर की सडक़ों पर यूं ही घूमने निकल जाए और वहां मिले कोई नई दुनिया, कुछ नए लोग. फिर उसमें कुछ से दोस्ती हो जाए. कुछ ऐसी ही है ब्लॉग की दुनिया. कभी बात का बतंगड़, कभी बात से निकले जज्बात और कभी कोरी बकवास. तो चलिए इस बार की जाए अपनी, उनकी, सबकी बातें. और बात कर रहीं हैं रश्मि रवीजा. जब उनके ब्लॉग का नाम ही ‘अपनी उनकी सबकी बात’ है तो अंदाजा हो गया होगा कि अंदर किस तरह का मसाला होगा. याद आता है कि स्कूल डेज में हम लोग कोई भी फिल्म देखकर आते थे, उसकी पूरी कहानी दोस्तों को सुनाते थे और अपनी बुद्धि के हिसाब से उसकी समीक्षा भी करते थे. रश्मि ने भी अपनी पोस्ट में एक नई चर्चित फिल्म आईएम की कहानी सुना कर उसकी समीक्षा की है. रश्मि सिनेमा देखते देखते पहुंच गई हैं क्रिकेट मैदान में. वल्र्ड कप के बाद क्रिकेट की हरारत अभी भी मौजूद है आई पीएल के रूप में. सो उन्होंने क्रिकेट प्रेमियों की नब्ज पर एक सधे हुए हकीम की तरह टटोली है, नाम है ‘गावस्कर की स्टेट ड्राइव का राज’.
ब्लॉगर ने जिस कुशलता से ब्यूटी कांटेस्ट को को क्रिकेट से जोड़ा है कि वैसा ही एक्साइटमेंट होता है जैसा क्रिकेट में छक्का पडऩे पर होता है. इसमें शुरुआत होती है मिस यूनविर्स ब्यूटी कांटेस्ट से. सुष्मिता सेन से कई साल पहले मधु सप्रे भी टॉप थ्री में पहुंची थीं. उनसे पूछा गया था कि अगर आपको एक दिन के लिए देश का मुखिया बना दिया जाए तो वो क्या करेंगी. उनका जवाब था, वो पूरे देश में खेल के अच्छे मैदान बनवा देंगी. मधु सप्रे मुंबई की थी और उस समय उनका ये उत्तर सुन कर गु्रस्सा आया था. लेकिन सुनील गावसकर की किताब ‘सनी डेज’ में उनके पंसंदीदा शॉट स्ट्रेट ड्राइव का राज जिस तरह से खोला गया है उससे लगता है कि मधु का उत्तर बिल्कुल रेलेवेंट था. एक और पोस्ट है ‘साथी ब्लागर्स के साथ गूजरे कुछ खुशनुमा पल’. ब्लॉगर्स जब फेस टू फेस मिलते हैं तब क्या होता है, उसका जिक्र है इस पोस्ट में वैसे तीन महिला ब्लॉगर्स के बीच सैंडविच हुआ एक पुरुष ब्लॉगर कैसा लगता है, ये देखना है तो क्लिक करें rashmiravija.blogspot.com और शामिल हो जाएं चकर-चकर में.

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