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4/2/10

पंछी बनूं उड़ती फिरूं मस्त गगन में




पंछी बनूं उड़ती फिरूं मस्त गगन में आज मैं आजाद हूं दुनिया के चमन में...जब भी परिंदों को उड़ते देखता हूं तो ये लाइनें याद आने लगती हैं. कल्पनाओं को पर लग जाते हैं. उस दिन भी जब पिंजरें से करीब पचास गौरैया मुक्त की गई तो सब फुर्र-फुर्र कर उड़ गई सिर्फ एक चीड़ा नहीं उड़ सका. वो पिंजरें में ही दुबका रहा, शायद बीमार था. उसे हथेली पर रख कर उड़ाने की कोशिश की फिर भी नही उड़ा. ढेर सारी गौरैया को आजाद कराने की खुशी फीकी सी पड़ गई. मेरे एक साथी ने उस चीड़े को चिडय़ाघर के डाक्टर के पास भिजवा दिया. पता नही उसका क्या हुआ. लेकिन बाकी सब खुश थे.

बात 20 मार्च की है. इस दिन अब लोग गौरैया दिवस मनाने लगे हैं क्योंकि गिद्धों के गायब होने के बाद गौरैया भी अब कम ही दिखती हैं. गिद्ध पर रिसर्च हो रहा है लेकिन गौरैया क्यों गायब हुईं इस पर बस बातें हो रही हैं. पता नहीं किसने और क्यों 20 मार्च का दिन गौरैया के लिए चुना. इसके पहले नहीं सुना था कि वल्र्ड स्पैरो डे भी मनाया जाता है. खैर दिवस कोई भी हो एनजीओ उसे जरूर मनाते हैं. अखबारों में एक दो दिन खबरें छपती हैं. प्यारी सी गौरैया की फोटो अच्छा से कैप्शन और कभी-कभी कविता की कुछ लाइनें गौरैया को समर्पित. कुछ लोग अपने बचपन की गौरैया को याद कर लेते हैं. फिर सब कुछ पहले की तरह. हमारे एक साथी हैं कौशल किशोर और विशाल मिश्रा. उन्होंने ने सोचा गौरैया के लिए कुछ किया जाए . वो चौक के अवैध पक्षी बाजार से करीब 50 गौरैया खरीद कर ले आए. सोचिए अब गौरैया भी बिकने लगी हैं. तय हुआ की जू में ले जाकर उन्हें उड़ा दिया जाए. जू में किसी स्कूल के बच्चे पिनिक मनाने आए थे. उनसे पूछा कि किसके घर में गौरैया घोसले बनाती हैं तो तो सिर्फ दो हाथ उठे. उन बच्चों को गौरैया के गायब होने की बात बताई गई और पूछा कि वो उन्हें पिंजरे में बंद रखना चाहते हैं या उड़ाना? तो सब ने कहा उड़ाना. पिंजरा खोल दिया गया और गौरैया फुर्र हो गईं. सिर्फ एक को छोड़ कर.
गौरैया को उड़ते देख बच्चे खुशी से उछल रहे थे. मुझे लगा जैसे मेरे आस पास बच्चे नहीं ढेर सारी गौरैया गा रही हों...पंक्षी बनूं उड़ती फिरूं मस्त गगन में आज मैं आजाद हूं दुनिया के चमन में..

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