
केशव केशन अस करी अरिहु ना जस कराय, चंद्रवदन मृगनयनी बाबा कहि-कहि जाय. केशव जी व्यथित हो कहते हैं कि उनके बालों ने उनकी जो गत बनाई है वैसा तो कोई दुश्मन के साथ भी नही करता. सफेद बालों के चलते सुंदर बालाएं उन्हें बाबा कह कर संबोधित करती हैं. केशव के जमाने के ‘बाबा’ आज के जमाने के ‘अंकल’ ही हुए ना. केशव तो महान कवि थे और मैं साधारण आदमी लेकिन केशव की तरह मुझे भी बच्चों को छोड़ कर कोई अंकल कहता है तो अच्छा नहीं लगता. मैं सभी स्त्रियों का सम्मान करता हूं लेकिन इस मनोविज्ञान पर मेरा वश नहीं. क्यों? इस पचड़े में नही पडऩा, बस अच्छा नहीं लगता तो नहीं लगता. जब संजू बाबा, शहरुख, सलमान या आमिर खां के आधे उम्र की बालाएं उन्हें अंकल नहीं कहती तो मैं क्यों अंकल कहलाऊं. माना कि मैं उन जैसा हैंडसम अब नहीं रहा लेकिन दिल उनसे ज्यादा युवा अब भी है.
जब कवि केशव ‘बाबा’ कहने पर अफसोस जता सकते हैं तो मैं क्यों नहीं. वो सम्मानित कवि हैं ऐसे में उनकी लाइन पकड़ लूं तो क्या हर्ज है. अब ये तो ह्यूमन साइकॉलजी है कि मनुष्य तन से नहीं तो मन से अपने को युवा समझता है और जब तक उसके अंग-प्रत्यंग जवाब नहीं देने लगते तब तक उसे पता ही नहीं चलता की वो बूढ़ा हो रहा है. मैं भी अपवाद नहीं. लेकिन ईश्वर की कृपा से अंग-प्रत्यंग अभी दुरुस्त हैं. सो थोड़े दिन यूथाफुल होने में कोई बुराई नहीं.
अब आपको बताता हूं कि इतना प्रपंच क्यों कर रहा हूं. ईश्वर की बड़ी कृपा होने पर ही ब्यूटी विद ब्रेन का काम्बिनेशन बनता है. ऐसे ही एक काम्बिनेशन वाली बाला को गूगल पर बजबजाते हुए अचानक मेरा ब्लॉग पसंद आ गया. अच्छी बात ये कि उसने फोन पर भी बात की और ब्लॉग की प्रशंसा की, बुरी बात ये कि उसने मुझे अंकल कहा भले ही इसकी अनुमति ले कर कहा हो. अब कोई अंकल कहना चाहे तो शिष्टाचार में मैं मना कैसे कर सकता हूं. मैंने खीसें निपोर कर कह दिया कहो-कहो कोई बात नहीं, लेकिन बात तो है. अरे मन से कुछ और दिन युवा रह लेने दो भाई. अंकल या बाबा कहना जरूरी है क्या? माना कि मन में मेरे प्रति बड़ा सम्मान है लेकिन नाम के आगे जी लगाने से भी तो काम चल जाता है.
खैर, कोई बात नहीं. उस बाला के ब्लॉग पर आए कमेन्ट्स में अपने जैसे चच्चुओं की लाइन लगी देखी तो बड़ा अच्छा लगा कि उस बाला ने इनमें कइयों से अंकल कहने की अनुमति जरूर ली होगी. अगर नहीं तो केशव की लाइनें एक बार फिर याद कर मैं तसल्ली कर लेता हूं.
nice
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteगुरूजी अब तो आपके बाल भी कुछ सफेद हो गए होंगे।
ReplyDeleteहालात ने चेहरे की दमक छीन ली वरना
ReplyDeleteदो-चार बरस में तो बुढ़ापा नहीं आता ।
अरे आप तो युवा हैं (और मैं भी ). आजकल किसी को भी अंकल संबोधित करना प्रचलन में है.
ReplyDeletesir these lines dedicated for u...........
ReplyDeleteAisi ulji nazar unse hatt ti nahi
Daant se reshmi dor katt ti nahi
Umar kab ki baras ke safaid ho gayi
Kaari badari jawani ki chatt ti nahi
Walla ye dhadkan bhadne lagi hai
Chehre ki rangat udne lagi hai
Darr lagta hai tanha sone mein ji
Dil to bachcha hai ji
Dil to bachcha hai ji
Thoda kaccha hai ji
Haan dil to baccha hai ji
अब अंकल कहलाने की उम्र में किसी ने अंकल कह दिया तो क्या हुआ ...:):)
ReplyDeleteअरे बड़े भाई ऐसी बालाओं का फ़ोन आये तो इधर रिडायरेक्ट कर दीजिये. हम कब काम आयेंगे :)
ReplyDelete@वाणी: मैं कब कह रहा हूं कि कुछ हुआ. बहुत लोग अंकल कहते हैं. कवि केशव की तरह अपने मन की बात कहने का हक तो है ना. अब ये मत कहिएगा कि यूथफुल होना बुरा है. :-)
ReplyDeleteआपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा, और यहाँ आकर मुझे एक अच्छे ब्लॉग को फॉलो करने का अवसर मिला. मैं भी ब्लॉग लिखता हूँ, और हमेशा अच्छा लिखने की कोशिस करता हूँ. कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आये और मेरा मार्गदर्शन करें.
ReplyDeleteshabd.in