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2/6/09

सफलता की डायरी

न्यू ईयर के बसंत को हम पार कर गए हैं लेकिन इस बार डायरी की बहार नहीं है. सुनते हैं इसकी फसल बहुत अच्छी नहीं हुई है. थोड़ी बहुत जो फसल है, उसे भी रिसेशन के कारण कॉस्ट कटिंग का छिडक़ाव कर बड़ी सावधानी से काटा जा रहा है. इन सबके बावजूद उन लोगों के हाथ में नई डायरी दिख रही हैं जो आज के दौर में सक्सेसफुल हैं. उनकी सफलता का एक अहम कारण उनका वेलआर्गेनाइज्ड होना है और इसमें डायरी का रोल महत्वपूर्ण है. जी हां, डायरी का सीधा संबंध इंगेजमेंट्स और शेड्यूल से है. शेड्यूल, सलीका और सफलता में गहरा संबंध है. प्रेशर में ाी पेस के साथ परफार्म करने वाले ही आजकल सफल कहे जाते हैं. जो जितना सफल है उसका शेड्यूल उतना ही हेक्टिक है और जिसका शेड्यूल हेक्टिक है वह उतना ही आर्गेनाइज्ड है. लाख प्रेशर के बावजूद उनकी लाइफस्टाइल में एक सलीका होता है. आजकल डायरी तो डेली लाइफ का एक अहम हिस्सा है. क्या हमसब डायरी की अहमिय समझते हैं? ढेर सारे लोगों के लिए तो डायरी न्यू ईयर के आसपास गिफ्ट के रुप में बांटने की वस्तु भर है. कुछ के लिए ये ओबलाइज करने का माध्यम है. ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो खुद तो डायरी नहीं रखते लेकिन डायरी की डीलिंग में माहिर होते हैं. ये डायरी न तो खरीदते हैं और न ही छपवाते हैं. ये तो सिर्फ बांटते या बंटवाते हैं. यानी इधर की डायरी उधर. डायरी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका संकट मोचक की है. जो डायरी मेंटेन करता है, डेली रुटीन की जरूरी बातों को दर्ज करता है, उसे डायरी कभी धोखा नहीं देती. उनके लिए तो डायरी एक पोर्टेबल इंसाइक्लोपीडिया होती है. जिनकी मेमोरी शार्प है और जो भुलक्कड़, दोनों के लिए डायरियां कंप्यूटर की भाषा में एक्स्ट्रा हार्ड डिस्क की तरह काम करती हैं. इनमें न तो वायरस आने का खतरा होता है और नहीं ये अधिक लोड पडऩे पर कंप्यूटर की तरह हैंग करती हैं. डायरी मेंटेन करके तो देखिये, आपका मेंटल प्रेशर कई गुना कम हो जाएगा.

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