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6/4/11

ये डीके बोस कौन हैं


ये डीके बोस कौन हैं, क्यों भाग रहे हैं, उन्होंने कौन सा क्राइम किया है. भागना डीके बोस की मजबूरी है. नहीं भागेंगे तो ‘पप्पू साला’ बन जाएंगे जो डांस नही कर सकता. पीछे ना छूट जाए, इसके लिए वक्त के साथ भागते रहना डीके बोस की मजबूरी है. करीब दो दशक पहले एक फिल्म आई थी ‘कयामत से कयामत तक’. हीरो के तौर पर ये आमिर खान की पहली फिल्म थी. उसमें एक गाना बहुत हिट हुआ था..पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा..दो दशक बाद आमिर खान की एक और फिल्म आ रही है ‘डेल्ही बेली’. ये फिल्म आमिर खान की है लेकिन इसमें हीरो उनका भांजा इमरान है. दो डिकेड्स में यंगस्टर्स कितना बदल गए हैं. उनके एटीट्यू में कितना फर्क आ गया है- ‘पापा कहते हैं’ से ‘डैडी मुझे से बोला.. तू गल्ती है मेरी, तुझ पे जिंदगानी गिल्टी है मेरी, साबुन के शकल में बेटा तू तो निकला केवल झाग...भाग-भाग...डीके बोस-डीके बोस भाग..
वाह, क्या फाड़ू गाना है. ‘डीके बॉस’ अब ‘डीके बोस’ बन कर लौटे हैं. स्टाइल बदल गई लेकिन माने नहीं बदले हैं. नहीं सोचा था कि हॉस्टल के दिनों के डीके बॉस दो दशक बाद किसी हिन्दी फिल्म में डीके बोस बन कर धमाल मचा देंगे. ये डीके बोस और कोई नहीं आज के युवा हैं जो स्लैंग पर सवार हो फर्राटे भर रहे हैं. इनकी लिटरल मीनिंग पर मत जाइए, बस इसे बोलचाल की भाषा का स्पाइस समझ कर इंज्वाय कीजिए. अपने डीके बॉस यानी दुर्गेश कुमार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके नाम का एब्रीविएशन एक दिन गदर काटेगा. समझ गए ना बॉस.
स्लैंग का जमाना है इसीलिए नाम जरा सोच समझ कर रखना चाहिए. याद है ना वो ऐड जिसमें हरी साडू जैसे फाड़ू बॉस के नाम का ऐसा एब्रीविएशन बताया गया कि उनकी हाथ में आ गई और वो भी हरीसाड़ू से ‘डीके बोस’ की कैटेगरी में आ गए. अब लिटरल मीनिंग मत पूछिए कि हाथ में क्या आती है. एम टीवी के रोडीज हों या उनके टकले बॉस रघु और राजीव, सब ऐसा स्लैंग यूज करते हैं कि सबकी बीप.. बीप.. करने लगती है. रिएलिटी शो में तो जज से लेकर कंटेस्टेंट तक सब एक-दूसरे की बजाते रहते हैं. वैसे आजकल इस बैंड, बाजा, बारात का ही शोर है. इसमें कोई रोडी है तो कोई डीके बॉस.
तो क्या नई जेनरेशन सटक या भटक गई है जो बेतहाशा भागी जा रही है? इस जेनरेशन को पता है कि अगर वो नहीं बजाएंगे तो उनकी बजा दी जाएगी. ‘डेल्ही बेली’ के गाने को देखने से भी लगता है. फिल्मों में, टीवी पर, सडक़ों पर आजकल यंगस्टर्स का यही लिंगो है और इस भाषा को बोलने वाले ये बच्चे बिगड़ैल नहीं हैं. ये है जेनरेशन नेक्स्ट, वेरी इंटेलीजेंट, प्रोफेशनल, फोकस्ड एंड दे मीन बिजनेस. उन्हें पता है कि कि टाइम टफ और करम्पटीशन कड़ा है. जमाने के साथ चलना है तो जमाने के नियम से चलो और उसी की भाषा बोलो. नैतिक-अनैतिक के पैरामीटर्स वक्त के साथ बदलते रहते हैं और अगर हम अपडेट नहीं हुए तो कोई भी पोपट बना कर आगे निकल जाएगा. लड़कियों को ही लीजिए. वो ‘बहन जी’ टाइप इमेज से बाहर आ चुकी हैं. ये टीन गल्र्स ज्यादा कांफिडेंट और प्रैक्टिकल हैं. आपसे से कुछ भी, किसी भी टॉपिक पर बिंदास बातें कर सकती हैं लेकिन आप उनको बेवकूफ नहीं बना सकते. जो बेवकूफ बनती हैं वो ही एमएमएस स्कैंडल या कि सी दूसरे इमोशनल अत्याचार का शिकार हो जाती हैं लेकिन लेकिन उनका परसेंटेज काफी कम है. यंग जेनरेशन होशियार है और उसमें एक डीके बोस भी बसता जो अपना काम निकालने के लिए किसी की भी वॉट लगा सकता है. अब तो गल्र्स भी इस मामले में लडक़ों से पीछे नहीं हैं. स्लैंग्स पर ब्वॉयज की मोनोपली नहीं रह गई है. गल्र्स भी अब ऐसी लैंग्वेज यूज करती हैं कि बड़ों-बड़ों की बीप..बीप..हो जाए. उनका फंडा बिल्कुल क्लियर है. बाईचांस एक दिन दो टींस के कनवरसेशन को इंटरसेप्ट किया... उनकी लिंगो कुछ ऐसी थी..
-Arre Ye DK Bose type hai..usase bhi khatarnak ..lekin kisi se poochna mat

-ahahahahahah... ¬
go to ...facemoods•com
-jara meri bhi knowledge badhe?
-are kya bataun it is bellow dignity..
-are wat is below nd above dignity?? its v who think so...
-¬ ¬

-ahahahahahahah....

समझने वाले समझ गए जो ना समझे वो अनाड़ी है.

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