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5/5/09

सुअर सकते में, मुर्गे मस्त!


मुर्गे मस्त हैं. बटेर, बत्तख, टर्की और पूरे पक्षी समाज में हर्ष की लहर है. मुर्गा एसोसिएशन ने डिस्काउंट ऑफर तक दे दिया है. मुर्गों ने मुर्गियों से और ज्यादा अंडे प्रोड्यूस करने का अपील की है. दो अंडे के साथ एक अंडा फ्री देने का भी प्रस्ताव है. मुर्गे खुश हैं कि इस बार बर्ड फ्लू के कारण बेमतलब मुर्गा संहार नहीं होगा. लेकिन सुअर समाज सकते में है. साउथ ईस्ट एशिया में रेड एलर्ट जारी कर दिया गया है. ठंडे देश के स्वाइन से मेलजोल कम रखने की सलाह दी गई है. पूरी दुनिया इस समय अल कायदा और तालिबान से उतनी दहशत में नहीं है जितनी स्वाइन फ्लू से. बर्ड फ्लू तो पुरानी बात हो गई, लोग अब इससे चिंतित नहीं होते. हां मुर्गे-मुर्गियां जरूर टेंशन में आ जाते थे. मुर्गे की जान जाती और लोगों को खाने में मजा भी नहीं आता. लेकिन 1918 के बाद अब आया है नया फ्लू. मामला स्वाइन फ्लू का है. कुछ लोगों को नहीं पता था कि यह स्वाइन क्या बला है. उन्हें लगता था कि यह स्वाइन कोई बहुत डरावना जीव होता होगा लेकिन जब पता चला कि गली - मोहल्ले में टहलने वाले सुअर को ही स्वाइन कहते हैं तो टेंशन थोड़ा कम हुआ. लेकिन स्वाइन शब्द से सुअरों को कम, कुछ पशु प्रेमियों को ऑब्जेक्शन ज्यादा है. सो सुअर फ्लू की जगह एच1एन1 वायरस ही चलेगा. डब्लूएचओ ने स्वाइन लू को लेकर लेवल-5 के खतरे का साइरन बजा दिया है. इसके बाद तो महामारी का ही ऐलान होगा. जहां तक इंडियन स्वाइन की बात है वे सकते में हैं. स्वाइन समाज ने लोगों से सलामी और सॉसेजेज से परहेज करने की अपील की है. स्वाइन फैमिलीज ने गर्मियों में हिल स्टेशन जाने का इरादा टाल दिया है. बताया गया है कि ठंडे क्षेत्र में एच1एन1 वायरस आसानी से फैलता है. हांलाकि अभी तक कहीं से स्वाइन समाज के सामूहिक संहार की खबर नही आई है. लेकिन अगर स्थिति काबू में नहीं आई तो बड़ी संख्या में सुअरों को भी शहीद होना पड़ सकता है. इंडियन सुअर यूनियन यूरोपीय, मैक्सिकन और अमेरिकी सुअर भइयों के लिए प्रार्थना सभाएं आयोजित कर रही है क्योंकि उनकी सुरक्षा में ही इनकी सुरक्षा है. जान है तो जहान है.

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