'वेरी सिम्पल
' कितना सरल है कहना और कितना कठिन है करना. जिसे देखो जुटा है कुछ तूफानी करने में. आखिर ये तूफानी कहां से आया? सिम्पल..ये तो ऐड का स्लोगन है. ऐसे ही कुछ दूसरे स्लोगन भी याद हैं...ठंडा मतलब... डर के आगे जीत है... दाग अच्छे हैं..और भी पता नहीं क्या-क्या. आखिर इनमें ऐसा क्या खास है कि हजारों स्लोगंस के बीच कुछ खास लाइंस हमारी जुबां से चिपक जाती हैं. इनमें एक बात कॉमन है वो है सिम्प्लीसिटी. लेकिन सिम्पल उतना सिम्पल होता नहीं. एक सज्जन से पूछा, यार ये तूफानी करना क्या होता है? उन्होंने झट से मोबाइल स्क्रीन सामने कर दिया और संता-बंता के कई तूफानी जोक सामने आ गए. समझ गए ना, उन्हें सबके सामने शेयर किया तो तूफान खड़ा हो जाएगा.
कुछ लोग सेलफोन और नेट पर तूफानी करना ज्यादा पसंद करते हैं. जैसे नोमान नाम के एक जनाब अपना मोबाइल सेट जितनी तेजी से बदलते हैं उससे कही तेज गति से उनकी रिंग और कॉलर टयून बदलती है. उनको तूफानी कॉलर ट्यून लगाने का बड़ा शौक है. एक से एक इनोवेटिव और नॉटी. स्टूडेंट्स और टीन्स में तो ये चलता है लेकिन अगर आप किसी कॉरपोरेट ऑफिस में काम करते हैं तो तूफानी करने में थोड़ा सावधानी बरतनी चाहिए वरना बॉस तूफानी मोड में आ जाते हैं. हुआ ये कि उन्होंने एक कॉलर ट्यून लगाई जिसमें कॉल करने पर उधर से लड़की की आवाज कुछ यूं आती थी...अरे पहले मुझसे बात करो ना..पॉज के बाद वो फिर कहती..अरे मुझसे बात करो ना प्लीज, मेरा मन कर रहा है तुमसे बात करने का, बहुत सताते हो. उनके कई दोस्त इस ट्यून के झांसे में आ गए और कुछ सेकेंड्स तक खीसें निपोर कर बातें भी की. लेकिन दो दिन भी नहीं बीते थे कि उनके बॉस का फोन आ गया. पहले शांति से ट्यून को सुना फिर उन्होंने नोमानी के साथ जो तूफनी किया, उसके बाद से तो नोमानी के फोन पर कुछ दि जय अंबे.. जगदंबे मां.. वाली कॉलर टयून ही सुनाई पड़ी.
वैसे 'चलो आज कुछ तूफानी करते हैं
' ..यह स्लोगन कोल्ड ड्रिंक लेने वालों से ज्यादा दूसरे ड्रिंक्स लेने वालों को हिट करता है. झाग वाला कोई भी ड्रिंक हो, पहले वो जिगर में झाग और आग पैदा करता है फिर बाहर आता है तूफान बन कर फिर लोग सड़कों पर तूफानी करने लगते हैं. अगर सन्नाटे में कोई कार डिवाइडर तोड़ कर दूसरी साइड चारों टांगे ऊपर कर पलटी मिले तो समझ लेना चाहिए कि ड्राइवर ने झाग वाला ड्रिंक लेकर तूफानी किया है. कभी-कभी दो झाग वाले जब आमने-सामने होते हैं तो वहां उठे तूफानी में गरजने और कड़कने की आवाजें भी आती हैं. उस कड़क से किसी की कार का शीशा टूटता है और किसी का सिर फूटता है. इसके बाद पुलिस वालों को तूफानी करने का मौका मिल जाता है. ऐसे ही कुछ लोग ड्रिंक्स लेने के बाद गटर या नाली के पानी के साथ तूफानी अवतार में नजर आते हैं.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर तो तूफानियों की भरमार है. वो साधारण सी फोटो या घटना में अपनी क्रिएटिविटी डाल कर उसे तूफानी बना देते हैं. कुछ दिन पहले फेसबुक वॉल पर एक छोटे बच्चे की तस्वीर देखी. गली की नाली में गिरने से ऊपर से नीचे तक कीचड़ में सना हुआ. वैसे तो वो रो रहा था. लेकिन वो ऐसे पोज में खड़ा था और उसके फोटो पर किसी ने स्लोगन लिख दिया था 'आज कुछ तूफानी करते हैं
' , इनसब से उस फोटो को देखने का नजरिया ही बदल गया था. एक साधारण सी फोटो तूफानी फोटो बन गई थी. तूफानी करने में महिलाओं को भी उतनी ही महारत हासिल है. जैसे कई महिलाएं मई में तूफानी होने इंतजार करती थी कि एक-दो तूफाननुमा अंाधी के दौर हो जाएं तो कच्चे आम सस्ते हों और तूफानी गति से अचार बनने में जुटें. लेकिन जून भी खत्म होने को है, तूफान की जाने दें ठीक से आंधी भी नहीं आई इस बार. कच्चे के बजाय पके आमों से पट गए हैं बाजार. जो चलिए पके आमों से ही कुछ तूफासनी करते हैं.