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6/1/09
नो टोबैको डे और 'भूत'
आपने कभी सुना है कि भूत भी छुट्टी पर रहता है और भूतों में भी 'भइया' होते हैं. आपके जमाने में नहीं होता होगा लेकिन मार्डन भूत कैजुअल लीव पर रहते हैं और वीकली ऑफ भी मनाते हैं. ऐसे ही भूत से मेरा पाला पड़ा ३१ मई को. इस दिन यानी संडे को नो टोबैको डे था. मेरा आर्गनाइजेशन सामाजिक सरोकारों से जुड़े अभियानो में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता है. सो नो टोबैको डे पर हमने भी रैली निकाली. शहर की कई संस्थाओं ने इसमें उत्साह के साथ हिस्सा लिया. एक और आर्गेनाइजेशन जो इस अभियान में हमारे साथ आया उसका नाम था 'हॉन्टेड हाउस' यानी भूत की हवेली. हर शहर-गांव में एक दो ऐसी कोठियां या खंडहर जरूर होते हैं जो भूतिया या अभिशप्त कहलाते हैं. लखनऊ के पॉश मार्केट हजरतगंज में भी एक 'हॉन्टेड हाउस' है. अब इसमें भूत तो होंगे ही. लेकिन ये भूत नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि लोगों का मनोरंजन करते हैं. सो नो टोबैको डे पर 'हॉन्टेड हाउस' भी हमारे साथ आया और रैली में भाग लेने के लिए दो भूत देने की इच्छा जताई. सिगरेट-पान मसाला के नतीजे खौफनाक होते हैं सो इस मैसेज को देने के लिए भूत से बेहतर कौन हो सकता है. हम तैयार हो गए. रैली शुरू होने वाली थी और भूत नदारद. अब ये असली भूत तो थे नहीं कि अचानक कहीं भी प्रकट हो जाएं. एक रिपोर्टर को दौड़ाया गया कि जाकर देखो भूत कहां रह गए. रिपोर्टर थोड़ी देर बाद लौटा लेकिन एक भूत के साथ. मैंने भूत से पूछा, दूसरा कहां है? भइया आज उसकी छुट्टी है. यार पहले बताना था. खैर, तुम्हारा नाम क्या है? भइया. असली नाम? सब मुझे भइया ही कहते हैं. ठीक है तैयार हो जाओ. इसके बाद भइया भूत ने सड़क पर 'नो टोबैको' की तख्ती लेकर जो पिशाच डांस किया वो देखने लायक था. मुझे लगा भूत एक हो या दो, इम्पैक्ट समान होता है.
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राजीव जी आपको इस रचना और आपके अभियान के लिये बहुत बहित बधाई शुभकामनायें आप यूँ ही समाजसेवा मे लगे रहें आभार्
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteभुत भैया भूतनी भौजी :)
ReplyDeleteवाह! भूत का वर्तमान से साथ हो तो विजय निश्चित! यह चित्र तो यही कहता है!
ReplyDeleteराजू भाई, भूत के साथ धांसू लग रहे हैं। वैसे भूत भी कम हैंडसम नहीं है!!!! काफी प्रफुल्लित और भविष्य के प्रति आश्वस्त है:)
ReplyDeletebhoot pasand aaya
ReplyDeleteपहले तो आप प्रोफाइल फोटो बदलिए। अपने साथ खड़े अच्छे भले हँसते गैर आदमी का फोटो वहाँ क्यों लगा रखा है? :)
ReplyDeleteइस रंग बदलती दुनिया में जब इंसान धोखे बाज़ हो रहा है तो भूत क्यों न हो आखिर भूत पहले तो इंसान ही थे
ReplyDeleteमजेदार पोस्ट हम तो भूतिया गए